Sunday 28 July 2013

अन्ना हजारे का हथियार क्यों है 'सत्याग्रह' !


फिल्म सत्याग्रह का एक दृश्य 
                        प्रकाश झा की फिल्म सत्याग्रह २३ अगस्त को रिलीज होनी है. इधर प्रकाश झा की एक दो फिल्मों का नाता विवादों से जुड़ा था. वैसे उन विवादों को खुद प्रकाश झा ने ही हवा दी. मसलन  अपनी फिल्म आरक्षण को जाति आधारित आरक्षण पर बहस बता कर आरक्षण समर्थकों और विरोधियों की भावनाओं को हवा दी. लेकिन, जब  उनकी इस हवाबाजी से फिल्म को नुक्सान होने लगा तो वह पलटी मार गए कि आरक्षण जातिगत आरक्षण पर नहीं, शिक्षा व्यवस्था पर है. लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी. आरक्षण कई राज्यों में रोकी गयी. प्रकाश झा के इस आधे अधूरे आरक्षण को दर्शकों ने भी पसंद नहीं किया. फलस्वरूप बड़े सितारों के बावजूद आरक्षण न अच्छा इनिशियल निकाल पायी, ना लॉन्ग रन में कोई कमाल दिखा पायी. अब जबकि उनकी नयी फिल्म सत्याग्रह रिलीज को तैयार है अन्ना हजारे के समर्थकों ने मांग कर डाली है कि सत्याग्रह को उन्हें रिलीज से पहले दिखाया जाए, क्योंकि यह फिल्म अन्ना हजारे पर है. हालाँकि, आरक्षण विवाद से जले प्रकाश ने यह कभी यह दावा नहीं किया कि सत्याग्रह अन्ना हजारे के सत्याग्रह से प्रेरित है. इस लिहाज़ से अन्ना हजारे के समर्थकों का रिलीज से पहले सत्याग्रह उन्हें दिखाने की मांग बेतुकी लगती है. सत्याग्रह अन्ना हजारे का ट्रेड मार्क नही. विश्व में सत्याग्रह का कांसेप्ट महात्मा गांधी की देन है. रही बात भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के मशहूर सत्याग्रह की तरह फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार द्वारा सत्याग्रह चलाने के कारण , सत्याग्रह को अन्ना हजारे पर फिल्म बताना तो यह भी बेतुका है. देश के कोने कोने में कोई न कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह करता रहा है. स्वर्गीय जय प्रकाश नारायण का सत्याग्रह तो कांग्रेस की सरकार को तक पलट गया था. ऐसे में सत्याग्रह अन्ना के बजाय जेपी पर फिल्म क्यों नहीं बन जाती?
                            ऐसा लगता है कि अन्ना हजारे के आन्दोलन के स्टीम खो देने से अन्ना हजारे के समर्थक चिंतित होंगे. अरविन्द केजरीवाल अन्ना की छाया से पूरी तरह से उबर चुके हैं और दिल्ली में प्रभावशाली ढंग से अपना आन्दोलन चला रहे है. इसका फायदा अगले चुनावों में उन्हें मिल भी सकता है. शायद यह सोच कर अन्ना समर्थक सुर्ख़ियों में रहने की जुगत मे है. पर उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई दो साल पहले अन्ना हजारे खुद फिल्म गली गली में चोर है को देख चुके थे और सराहना कर चुके थे. पर इसका फायदा ना अन्ना, ना अन्ना के आन्दोलन और ना ही फिल्म को मिल सका. गली गली में चोर है पूरे देश में बुरी तरह से फ्लॉप हुइ. इस बात को अन्ना हजारे समर्थकों को ध्यान में रखना चाहिये. और खुद प्रकाश झा को भी!

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