Friday 18 October 2013

नहीं रहा 'शालीमार' का शाहकार शिल्पी कृष्णा शाह


                   

 कृष्णा शाह का नाम आज की पीढ़ी ने शायद सुना तक नहीं होगा. मगर हिंदी फिल्मों के जानकार उनके नाम से अच्छी तरह से परिचित होंगे. एक भारतीय के लिए हॉलीवुड के बड़े सितारों को अपनी फिल्म में काम करने के लिए मनाना सत्तर के दशक में स्वप्न पूरा होने के समान था. पर कृष्णा शाह ने हर भारतीय का यह स्वप्न शालीमार से साकार कर दिखाया. शालीमार कृष्णा शाह की कालजयी रचना है. उन्होंने जब पहली बार यह घोषणा की कि वह हॉलीवुड के सितारों को लेकर फिल्म बनायेंगे तो ज़्यादातर को उनका यह कथन दूर की कौड़ी जैसा लगा. लेकिन, कृष्णा शाह ने यह कर दिखाया. उन्होंने धर्मेन्द्र, प्रेमनाथ और जीनत अमान की भारतीय कास्ट के साथ हॉलीवुड के तब के मशहूर सितारे रेक्स हैरिसन, सिल्विया माइल्स और जॉन सेक्सन को भारत की पहली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म शालीमार में पेश कर सभी हिंदुस्तानिओं को गौरवान्वित होने का मौका दिया. फिल्म के हीरो धर्मेन्द्र थे, पर उनका रोमांटिक एंगल ज्यादा था. तमाम एक्शन और हैरतंगेज़ कारनामे हॉलीवुड के यही स्टार कर रहे थे. कृष्णा शाह ने इस फिल्म को तिलस्मी रूप दे दिया था. बारूद बिछे चौखाने टाइल्स वाले कमरे में घुस कर शालीमार को लूटना, भारतीय दर्शकों के लिए अजूबा देखने के समान
था. कृष्णा शाह ने हॉलीवुड के अभिनेताओं के तमाम संवाद हिंदी में डूब करवाए थे.इस फिल्म के उषा उत्थुप के गाये वन टू चा चा चा और किशोर कुमार का गया हम बेवफा हरगिज़ न थे आज भी पोपुलर गीतों में शुमार हैं. इस फिल्म का संगीत राहुल देव बर्मन ने दिया था. कृष्णा शाह ने १९७२ में Rivals जैसी हार्ड कोर सेक्सी फिल्म बना कर हॉलीवुड में अपना सिक्का जमा दिया था. मशहूर हॉलीवुड कॉमिक स्टार जिम कैर्री को जेनेट से डेब्यू कराने वाले कृष्णा शाह ही थे. उन्होंने अपनी सभी फिल्मों को खुद लिखा भी. कृष्णा शाह एक बार फिर  १९७९ में सुर्ख़ियों में आये भारतीय सिनेमा के इतिहास को उकेरने वाली फिल्म  'फिल्म ही फिल्म' से. इस फिल्म में कृष्णा शाह ने हिंदी फिल्मों की क्लिप्पिंग के ज़रिये भारतीय फिल्मों की विकास यात्रा को दिखाया था. लेकिन भारतीय दर्शकों को कृष्णा शाह का यह प्रयोग पसंद नहीं आया. फिल्म फ्लॉप हो गयी. निराश कृष्णा शाह पुनः Los Angeles वापस हो गए, जहाँ उन्होंने ७५ साल की उम्र में अंतिम साँसें ली. वह अकादमी ऑफ़ मोशन पिक्चरस  एंड आर्ट्स की निर्देशक शाखा के सदस्य थे. जीवन के अंतिम समय में वह इंदिरा गांधी के जीवन पर फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहे थे. पर उनका यह महा स्वप्न अधूरा रह गया. श्रद्धांजलि.

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