Tuesday 20 January 2015

सदाशिव अमरापुरकर की 'डब्बा आइस पाइस'

महान चरित्र अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर ने ख़राब स्वास्थ्य के कारण मुंबई और मायानगरी बॉलीवुड को काफी पहले छोड़ दिया था।  लेकिन, रंगमंच और सामाजिक कार्य में वह सक्रीय थे।  इस दौरान, उन्होंने मराठी फिल्मों में काम करना भी जारी रखा।  हालाँकि, चुनिंदा फिल्मे ही की। अमरापुरकर की ऐसी ही एक आखिरी फिल्म 'डब्बा आइस पाइस' भी है।  मराठी फिल्म "डब्बा आइस पाईस" की कहानी महाराष्ट्र के गाँवो में मौजूद मराठी भाषा के स्कूलों की संघर्ष गाथा है, जिन्हे आज के आधुनिक युग में मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक नाना चौधरी अपनी  मराठी पाठशाला को बंद होने से बचाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देतें हैं, क्यों कि इसी पाठशाला में गाँव के गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।  यह स्कूल सीमित आर्थिक  संसाधनो के कारण बंदी के कगार पर है।  पाठशाला के ट्रस्टी स्वयं उसे बंद कर एक आधुनिक साधनो के साथ एक इंग्लिश स्कूल खोलना चाहते हैं ताकि मुनाफा कमाया जा सके। नाना की बेटी शहर से अपनी पढाई पूरी करने के बाद गाँव आकर अपने पिता का साथ देती है। मानवता और शिक्षा के लिए इस अनूठी जंग को चित्रित  और शिक्षा के महत्व को दर्शाती है यह अनूठी फिल्म । सदाशिव अमरापुरकर के अलावा फिल्म के अन्य कलाकारों में  यतिन कर्येकर, गणेश यादव, कश्मीरा कुलकर्णी, अभय खडपकर, अंशुमाला पाटिल, राजेंद्र शीसत्कार, नंदिता धुरी और फाल्गुनी रजनी के नाम उल्लेखनीय हैं । फिल्म में निर्देशन मनीष जोशी का है। 






No comments:

Post a Comment