Wednesday 15 April 2015

क्या सिंगर येशुदास की बॉलीवुड में वापसी हो रही है ?

दर्शकों को सेवेंटीज की फ़िल्में याद होंगी ।  इन फिल्मों में जब भी अमोल पालेकर और उनके समकालीन अभिनेता गाते थे, येशुदास की मखमली आवाज़ कानों में रास घोलने लगती थी। 'जब दीप जले आना, गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा, आये न बालम का करू सजनी, आज से पहले आज से ज़्यादा, आदि सुमधुर गीत पुरानी यादों में गुम कर देते हैं। येशुदास ने हिंदी फिल्म 'आनंद महल' के लिए पहली बार हिंदी गीत गया था।  लेकिन, पहला रिलीज़ गीत था फिल्म 'छोटी सी बात' का।  यह दोनों फ़िल्में १९७२ की थी।  येशुदास को शोहरत मिली १९७६ में रिलीज़ राजश्री बैनर की फिल्म 'चितचोर' से।  इस फिल्म में उन्होंने अमोल पालेकर के लिए गीत गाये थे।  इसके बाद येसूदास ने नैया, सुनयना, सावन को आने दो, चश्मे बद्दूर, सदमा, आदि फिल्मों के गीत गाये।  फिर न जाने क्या हुआ, येशुदास हिंदी फिल्मों से गायब हो गए।  उन्होंने खुद को दक्षिण की फिल्मों तक सीमित कर लिया। ऐसे सुरीली-मखमली आवाज़ वाले येशुदास की आवाज़ फिल्म दर्शकों को फिल्म 'बेयरफुट टू गोवा' के 'ओ नैना रे' गीत में सुनाई देगी। खबरों में कहा जा रहा है कि येशुदास की बॉलीवुड में वापसी हो रही है।  लेकिन, क्या सचमुच येशुदास हिंदी फिल्मों में वापसी कर रहे हैं ? शंका के तीन कारण हैं।  येशुदास ने १९९७ में ए आर रहमान के लिए रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'दौड़' का संजय दत्त पर फिल्माया गया 'ओ भंवरे' गीत गया था। फिल्म फ्लॉप हुई थी।  येशुदास की वापसी भी नहीं हो सकी। अब १८ साल बाद, 'बेयरफुट टू गोवा' से उनकी वापसी नहीं कही जा सकती।  क्योंकि येशुदास ने यह गीत चेन्नई के एक स्टूडियो में रिकॉर्ड करवाया है, न कि मुंबई में । सबसे बड़ी बात ! आज के शोर शराबे वाले संगीत में येशुदास की आवाज़ फिट नहीं बैठती।  ऐसे में वह लीक से हटकर बनी 'बेयरफुट टू गोवा' जैसी फिल्मों के इक्कादुक्का गीत गाने के लिए ही बुलाये जा सकते हैं।   इसे उनकी वापसी नहीं कहा जा सकता !

अल्पना कांडपाल

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