Thursday 18 June 2015

मुनव्वर भगत की फिल्म में साठ के दशक के गीत

शोर शराबे वाले आज के संगीत के बीच कुछ निर्माता कर्णप्रिय संगीत की तलाश में रहते हैं। अब चाहे वह पचास और साठ के दशक की फिल्मों के गीतों को रीक्रिएट करना ही क्यों न हो। अनुराग कश्यप और विकास बहल जैसे फिल्मकार इन गीतों को रीमिक्स करके अपनी फिल्मों में शामिल करते हैं। ऐसे ही फिल्मकारों में मुनव्वर भगत भी है, लेकिन कुछ हट कर।  उनकी आने वाली फिल्म 'लाखों हैं यहाँ दिल वाले' में एक नहीं बल्कि पूरे ग्यारह गीत साठ के दशक की फिल्मों के हैं।  इस फिल्म का गायक नायक भी साठ के दशक के गीतों को गाना पसंद करता है। मुनव्वर भगत ने सारेगामा के अधिकारीयों के साथ मीटिंग कर उनसे इन गीतों के अधिकार ले लिए।  यह सभी गीत सारेगामा के सर्वाधिकार में हैं।  इन गीतों में फिल्म काली टोपी लाल रुमाल का चित्रगुप्त का संगीतबद्ध गीत लागी  छूटे न, मिस मैरी का हेमंत कुमार द्वारा संगीतबद्ध ओ रात के मुसाफिर गीत, फिल्म उजाला का शंकर जयकिशन का संगीतबद्ध याला याला दिल ले गई गीत, फिल्म किस्मत का ओपी नय्यर द्वारा संगीतबद्ध लाखों हैं यहाँ दिलवाले गीत, आदि उल्लेखनीय हैं। किस्मत के गीत पर तो फिल्म का टाइटल ही रखा गया है। इन गीतों को रितेश नलिनी द्वारा रीक्रिएट कर फिल्म में शामिल किया जायेगा।  फिल्म में इन गीतों के बारे में मुनव्वर भगत दावा करते हैं, "ये ग्यारह गीत फिल्म में अलग अलग सिचुएशन में आते हैं।" लाखों हैं यहाँ दिलवाले में मुख्य किरदार वीजे भाटिया और कृतिका गायकवाड़ ने निभाए हैं।  अन्य भूमिकाओं में आदित्य पंचोली, किशोरी शहाणे, अंजू महेंद्रू, अरुण बख्शी, आदि के नाम भी उल्लेखनीय हैं।  इस फिल्म का संगीत सारेगामा द्वारा ही रिलीज़ किया जायेगा।




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