Sunday 1 November 2015

चंद्रलेखा: पहली तमिल फिल्म जो पूरे देश में चमकी

आजादी के सात महीने बाद रिलीज़ तमिल फिल्म ‘चंद्रलेखा’ इस मायने में अलग थी कि यह फिल्म पूरे भारत में रिलीज़ होने वाली पहली तमिल फिल्म थी . इस २०७ मिनट लम्बी ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म को इसकी भव्यता और नगाड़ों पर डांस के लिए याद किया जाता है . एस एस वासन की इस फिल्म में टी एस राजकुमारी, एम के राधा और रंजन जैसे बड़े सितारे थे . यह फिल्म कहानी थी दो राजकुमारों की - एक बुरा दूसरा भला . बुरा भाई अपने पिता की गद्दी पाने की कोशिश में रहता . दोनों ही एक नर्तकी से प्रेम करते थे . मोटे तौर पर यह फिल्म हॉलीवुड की फिल्म ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंटा’ से प्रेरित थी . इस फिल्म में बुरे राजकुमार का किरदार राजकुमार शशांकन का किरदार रंजन ने निभाया था . भले राजकुमार वीरसिम्हन एम के राधा बने थे . नर्तकी चंद्रलेकः की भूमिका टी आर राजकुमारी ने की थी. ‘चंद्रलेखा’ को बनने में पांच साल का समय लगा . हालाँकि, फिल्म पर काम चालीस के दशक की शुरुआत में ही शुरू हो गया था . उस दौरान एस एस वासन की दो फ़िल्में लगातार हिट हो गई थी . वासन ने अपनी अगली फिल्म के टाइटल ‘चंद्रलेखा’ का ऐलान कर दिया . जैमिनी स्टूडियोज का स्टोरी डिपार्टमेंट फिल्म की कहानी पर काम करने लगा. इस फिल्म की कहानी को विकसित करने में कई उपन्यासों का सहारा लिया गया . १९४३ में इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई . फिल्म के डायरेक्शन की कमान टी जी राघवाचारी के हाथों में थी . उन्होंने आधी से ज्यादा फिल्म शूट भी की . लेकिन, फिर मतभेदों के चलते वासन ने राघवाचारी को बाहर का रास्ता दिखा दिया और निर्देशन की कमान खुद सम्हाल ली . १९४३ में बननी शूरू चंद्रलेखा पांच साल बाद १९४८ में पूरी हुई . फिल्म के निर्माण के दौरान इसकी कास्ट, कहानी और प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में बार बार फेर बदल हुए . इस फिल्म के निर्माण में उस समय ३० लाख खर्च हुए थे. फिल्म को पूरी करने के लिए एस एस वासन को अपनी तमाम संपत्ति गिरवी रखनी पड़ी और जेवर बेच देने पड़े .  वासन इस फिल्म को अखिल भारतीय स्तर पर रिलीज़ करना चाहते थे . जैमिनी की फिल्म ‘चंद्रलेखा’ के बाद ही एवीएम् और प्रसाद प्रोडक्शनस ने हिंदी फिल्मों का निर्माण शुरू किया . इस फिल्म की कहानी के अनुसार रंजन का विलेन किरदार चंद्रलेखा से ज़बरदस्ती शादी करना चाहता है . इस पर चंद्रलेखा उसके सामने शर्त रखती है कि वह नगाड़ा डांस के बाद ही उससे शादी करेगी . चंद्रलेखा की इच्छा को पूरा करने के लिए खुले दरबार में नगाड़े सजाये जाते हैं . चंद्रलेखा उन पर डांस करती है . इसी दौरान नगाड़ों में बैठे राजकुमार बने राधा के सैनिक बाहर निकल आते हैं . खूब तलवारबाज़ी होती है . आखिर में चंद्रलेखा भले राजकुमार की हो जाती है . इस फिल्म की खासियत तलवारबाज़ी के हैरतंगेज़ दृश्य थे . रंजन खुद में अच्छे तलवारबाज़ थे . फिल्म का नगाड़ा डांस चकाचौंध कर देने वाला भव्य बन पडा था . इस डांस की बदौलत फिल्म ज़बरदस्त हिट हुई . दर्शक केवल इस डांस को देखने के लिए ही फिल्म देखने जाते थे . इस नगाड़ा डांस को २५ साल के कोरियोग्राफर एस राजेश्वर राव ने तैयार किया था . इस दर्शनीय फिल्म के कैमरामैन कमल घोष और के रामनाथ थे . फिल्म के संगीत में भारतीय और पाश्चात्य संगीत की घालमेल थी. एस एस वासन ने इस फिल्म के तमिल संस्करण को भरपूर प्रचार के साथ रिलीज़ किया. फिल्म को समीक्षकों ने सराहा भी . इसके बावजूद फिल्म अपनी लागत वसूलवाने में नाकामयाब हुई . तब वासन ने फिल्म को कुछ बदलाव के साथ हिंदी में रिलीज़ किया . हिंदी में रिलीज़ होते ही चंद्रलेखा बड़ी हिट फिल्मों में शुमार हो गई . फिल्म ने उस समय ७० लाख का ग्रॉस किया, जो आज के लिहाज़ से ४७६.६२ करोड़ है . इस फिल्म की सफलता ने दक्षिण के निर्माताओं को अपनी फ़िल्में हिंदी में रिलीज़ करने के लिए उत्साहित किया . बाद में चंद्रलेखा इंग्लिश, जापानीज, डेनिश तथा अन्य विदेशी भाषाओँ में डब कर रिलीज़ की गई . कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भी यह फिल्म दिखाई गई. देखिये चंद्रकांता के इस दर्शनीय और भव्य नगाड़ा डांस को इस विडियो में-

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