आज से १२ साल पहले, ९ मई २००४ को लक्ष्मी छाया ने आखिरी सांस ली थी। साठ और सत्तर के दशक की खलनायिका और डांसर लक्ष्मी छाया ने बॉलीवुड की फिल्मों में बड़ी डांसर अभिनेत्रियों की मौजूदगी में अपना दबदबा कायम कर लिया था। १९६२ में नॉटी बॉय फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाली लक्ष्मी छाया ने कोई ८६ फ़िल्में की थी। उन पर उस समय के तमाम हिट गीतों को फिल्माया गया। फिल्म मेरा गांव मेरा देश में आशा पारेख जैसी नृत्यांगना अभिनेत्री थी। लेकिन, दर्शकों के बीच हिट हुआ था लक्ष्मी छाया पर फिल्माया गया मार दिया जाए या छोड़ दिया जाये, बोल तेरे साथ क्या सलूक किया जाए गीत। बहारों के सपने का दो पल जो तेरी आँखों, आया सावन झूम के का मैं एक हसीना, रात और दिन का आवारा ऐ मेरे दिल, उपकार का गुलाबी रात गुलाबी, गुमनाम का जान पहचान हो जैसे गीत उनकी भिन्न शैली के नृत्य कर सकने की क्षमता का प्रमाण थे। उनका मास्क पहन कर किया गया जान पहचान हो गीत २००१ की अमेरिकी फिल्म घोस्ट वर्ल्ड की ओपनिंग क्रेडिट्स में शामिल किया गया था। १९८२ में उन्होंने फिल्मों से सन्यास ले लिया बच्चों को डांस सिखाने के लिए स्कूल खोल लिया। २००४ में छप्पन साल की उम्र में कैंसर ने उनकी जान ले ली।
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