Saturday 16 September 2017

बॉलीवुड को भाते हैं गैंगस्टर किरदार

बॉलीवुड में बहुत सी फ़िल्में माफिया या डॉन पर बनाई हैं।  हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार, दाऊद इब्राहिम और यहाँ तक छोटा शकील, छोटा राजन, अरुण गवली, मान्या सुर्वे, माया डोलास, आदि बड़े-छोटे डॉन पर हिंदी फ़िल्में भरी पड़ी हैं।  बॉलीवुड को अंडरवर्ल्ड भाता है।  एक तो इसमें थ्रिल होता है।  अभिनेता अभिनेत्री को कुछ कर दिखाने का मौक़ा भी मिलता है।  एक्शन के लिहाज़ से बंदूकों की धाँय धाँय और तेज़ रफ़्तार गाड़ियां सांस रोक देने के लिए काफी होती है।  संजय दत्त जैसे अभिनेता हैं,  जिनके पसंदीदा करैक्टर डॉन हैं।
दाऊद इब्राहिम पर ज़्यादा फ़िल्में---लेकिन !
बॉलीवुड ने काफी फ़िल्में दाऊद इब्राहिम पर काफी फ़िल्में बनाई हैं।  हाजी मस्तान के इस चेले में अपने गुरु की तरह बॉलीवुड की चमक धमक और फिल्म एक्ट्रेस का ग्लैमर रास आता था।  हाजी मस्तान की पसंदीदा एक्ट्रेस मधुबाला थी।  इसीलिए हाजी मस्तान ने मधुबाला की हमशक्ल सोना को अपनी प्रेमिका बनाया था।  इसका  ज़िक्र निर्देशक मिलन लुथरिया की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई में मिलता है। दाऊद इब्राहिम की पसंदीदा एक्ट्रेस मन्दाकिनी थी।  बताते हैं कि दाऊद ने मन्दाकिनी से शादी भी की थी।  दाऊद के दाहिने हाथ अबू सलेम के  फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी से सम्बन्ध तो ताजातरीन हैं। अनुराग बासु की फिल्म गैंगस्टर अबू सालेम और मोनिका बेदी रोमांस दिखाती थी। जहाँ, दाऊद के साथ संबंधों के कारण ही मन्दाकिनी का बॉलीवुड करियर ख़त्म हो गया, वहीँ मोनिका बेदी को अबू सालेम के कारण जोड़ी नंबर वन जैसी बड़ी फिल्म मिली।  रामगोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के संबंधों पर थी।  दाऊद इब्राहिम का किरदार निभाने में अक्षय कुमार तक पीछे नहीं हटे।  ज़्यादातर फिल्मों में दाऊद इब्राहिम अपराधी दिखाया गया है, लेकिन वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में उसका रोमांटिक पहलू सामने आता था।
सिर्फ डॉन तक
आम तौर पर डॉन या माफिया पर फिल्म उसके पेशे या पेशागत सम्बन्धो तक ही सीमित होती है।  इन गैंगस्टर के परिवार सामने नहीं लाये जाते।  क्योंकि, हिंदी फिल्म दर्शक इन गैंगस्टर्स से उनके अखबार में छापे कारनामों के कारण ही जानता है।  अख़बारों में इनके परिवार का कोई ज़िक्र नहीं होता या बहुत कम होता है।  १९९९ में रिलीज़ विनय शुक्ल की फिल्म गॉडमदर का ज़िक्र ज़रूरी है।  इस फिल्म के लिए शबाना आजमी को श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार मिला था।  इस फिल्म में शबाना आजमी ने गुजरात की गैंगस्टर संतोखबेन जडेजा का किरदार किया था।  संतोख का पति सरमन एक मामूली मिल मजदूर था।  लेकिन, हड़ताल के दौरान मुठभेड़ में सरमन के हाथों एक गैंगस्टर की हत्या हो जाती हैं।  इसके बाद वह इस गैंग को सम्हाल लेता है।  सरमन की हत्या के बाद संतोखबेन गैंग को सम्हालती है।  लेकिन, इस फिल्म में सरमन के बजाय संतोखबेन जडेजा के कारनामे ही दिखाए गये थे।  क्योंकि, विनय शुक्ल को संतोख के व्यक्तित्व ने ही प्रभावित किया था।  यहाँ, परिवार का कोई  महत्व नहीं था।
परिवार नदारद
हिंदी की रियल लाइफ गैंगस्टर पर फिल्मों में गैंगस्टर का परिवार ख़ास नहीं होता।  दाऊद इब्राहिम से प्रेरित अजय देवगन के मलिक के किरदार के साथ मनीषा कोइराला की सरोजा का किरदार नज़र आता है।  लेकिन, रामगोपाल वर्मा इसमें ज़्यादा गहराई से नहीं घुसते।  अपूर्व लखिया ने फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला में गैंगस्टर माया डोलास (विवेक ओबेरॉय) की माँ रत्नप्रभा (अमृता सिंह) को थोड़ा महत्व दिया था।  अलबत्ता, २२ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही अपनी फिल्म हसीना पारकर में वह परिवार को ख़ास महत्त्व देते हैं।  हसीना पारकर डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन थी।  यह तो काफी लोगों को मालूम है कि दाऊद के कराची भाग जाने के बाद उसने दाऊद के कारोबार को सम्हाला।  अपूर्व लखिया की इस फिल्म में दर्शकों से दाऊद के पूरे परिवार का परिचय होता लगता है।  फिल्म में अभिनेत्री श्रद्धा कपूर हसीना पारकर बनी हैं तो दाऊद इब्राहिम उनके भाई सिद्धांत कपूर बने हैं।  इस फिल्म में हसीना पारकर के शौहर इब्राहिम पारकर के चरित्र को भी काफी उभरा गया  है।  नवोदित अभिनेता अंकुर भाटिया ने इब्राहिम पारकर का किरदार किया है।
अपूर्व लखिया इस लिहाज़ से अलग है कि वह अपनी फिल्मों में गैंगस्टर किरदारों तक सीमित नहीं रहते।  उनकी फिल्मों में गैंगस्टर परिवार भी मायने रखते हैं।  हसीना पारकर में गैंगस्टर परिवार काफी ख़ास है।  अपूर्व ने इन किरदारों को किस प्रकार पेश किया है, वह काफी महत्वपूर्ण है।  अगर, अपूर्व अपनी बात दर्शकों तक पहुंचा पाए तो कोई शक नहीं अगर गैंगस्टर परिवार भी बॉलीवुड की फिल्मों में जगह बना ले जाएँ।

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