Tuesday 14 November 2017

नहीं रही आर पार की श्यामा

ज़बक मे महिपाल के साथ श्यामा 
गुजरे जमाने की अभिनेत्री श्यामा का देहांत हो गया।  वह ८२ साल की थी।  खुर्शीद अख्तर का श्यामा बनने का सफर जीनत, परवाना, बीते दिन, जलसा, गृहस्थी, आदि फिल्मों में छोटी, कमोबेश उपेक्षित भूमिकाओं से गुजरता है।  उस समय की बड़ी अभिनेत्री खुर्शीद की तरह फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना आँखों में संजोये नन्ही खुर्शीद को क़व्वाली में क़व्वालों के झुण्ड में से एक बन कर पहला कदम रखा।  काफी दुबली थी, इसलिए बड़ी भूमिकाओं के उपयुक्त नहीं समझी जा रही थी।  उन्होंने कनीज़ में श्याम और बीते दिन में मोतीलाल की छोटी बहन का रोल किया।  तराना में उनकी भूमिका थोड़ी बड़ी थी।  हमलोग में बलराज साहनी की गर्ल फ्रेंड बनी थी।   विजय भट्ट ने उन्हें श्यामा नाम दिया।  आई एस जौहर ने फिल्मिस्तान की फिल्म श्रीमतीजी के टाइटल रोल में श्यामा  को लेकर चौंका दिया।  फिल्म की मॉडर्न लड़की इंदिरा के किरदार में श्यामा ने सिक्का जमा दिया।  इसके बाद बिमल रॉय की फिल्म माँ और शर्त फिल्म ने उनकी अभिनय का डंका बजा दिया।  चन्दन, शारदा, मिर्ज़ा साहिबां, आर पार, आदि फिल्मों ने उन्हें टॉप की अभिनेत्री बना दिया।  शारदा फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड मिला।  लाहौर पंजाब पाकिस्तान में ७ जून १९३५ को जन्मी शयामा ने सिनेमेटोग्राफर फली मिस्त्री से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी है। श्यामा ने लगभग १७५ फिल्मों में अभिनय किया।  उनकी श्रेष्ठ फिल्मों में आर पार, बरसात की रात, तराना, ज़बक, सावन भादो, दिल दिया दर्द लिया, आदि थी।  उन्हें श्रद्धांजलि।  

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