Sunday 10 December 2017

फल विक्रेता युसुफ खान बन गया एक्टर दिलीप कुमार

फलों की दुकान से अभिनय के नगीने को ढूँढ़ पाना किसी पारखी ज़ौहरी का ही करम हो सकता है । युसुफअली खान की दुकान से फल ख़रीदने आई बॉम्बे टाकीज की मालकिन देविका रानी ने युसुफअली खान में छिपी प्रतिभा को पहचाना और ज्वार भाटा का जगदीश बना दिया । इसके साथ ही अभिनय के बेताज बादशाह दिलीप कुमार का जन्म हुआ । दिलीप कुमार मैथड एक्टिंग के मसीहा थे । हालाँकि, दिलीप कुमार से भी पहले दुनिया में बतौर मैथड एक्टर हॉलीवुड के मर्लन ब्रांडो का डंका बजा करता था । लेकिन, मर्लन ब्रांडो और दिलीप कुमार की मैथड एक्टिंग में बड़ा फ़र्क़ था । मर्लन ब्रांडो ने मैथड एक्टिंग सीखी । लेकिन, दिलीप कुमार ने अपनी शैली ख़ुद तैयार की । हिन्दी फिल्मों के ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार की अभिनय शैली का कई अभिनेताओं ने अनुसरण किया । राजेन्द्र कुमार तो ट्रेजिडी फिल्मों के जुबली कुमार बन गये । मनोज कुमार ने भी दिलीप कुमार को कॉपी किया । राजेश खन्ना भी काफ़ी फिल्मों में दिलीप कुमार से प्रभावित नज़र आये । अमिताभ बच्चन पर तो कॉपीकैट दिलीप कुमार का ठप्पा लग गया । काफ़ी फिल्मों में अमिताभ ने दिलीप कुमार की नक़ल में सीन किये । १९४४ से १९७६ तक दिलीप कुमार ने ३२ साल तक हिन्दी फिल्मों में नायक के किरदार किये । बैराग (१९७६) के बाद उन्होंने हिन्दी फिल्मों से अस्थाई रूप से संन्यास ले लिये । जब पाँच साल बाद, वह मनोज कुमार की फिल्म क्रांति (१९८१) से वापस हुए तो सांगा/ क्रांति की चरित्र भूमिका में । फिल्म ज़बर्दस्त हिट हुई । इसके बाद दिलीप कुमार ने १२ हिन्दी फिल्मोंमें चरित्र भूमिकाएँ की ।सौदागर (१९९१) के बाद दिलीप कुमार ने फिल्में करना बन्द कर दी । ११ दिसम्बर को उनका ९५वां जन्मदिन है । उनके स्वस्थ और लम्बे जीवन की कामना है ।  

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