ऑपरेशन सेंसर
बोर्ड के ज़रिये रानी पद्मावती, स्त्री लिंग से पुरुष लिंग में परिवर्तित कर पद्मावत बना दी गई
है। अभी तक बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका
पादुकोण के किरदार रानी पद्मिनी उर्फ़ संजय लीला भंसाली की पद्मावती पर आधारित
टाइटल वाली फिल्म पद्मावती अब पद्मावत बन कर नायिका रानी के बजाय काव्य रचना बन गई है। किसी फिल्म
का टाइटल बदल कर,
फिल्म से
जुड़े विवादों को कम करने या कम हुआ मान लेने की यह कवायद कितनी कारगार होगी, यह तो वक़्त ही बतायेगा। क्योंकि, मेवाड़ रानी पद्मिनी के साथ खिलजी के कथित
रोमांस दृश्यों को लेकर उठा विवाद अब ख़त्म हो जायेगा, कहाँ नहीं जा सकता। राजस्थान सरकार ने
पद्मावत की रिलीज़ की तारिख तय होते ही इस फिल्म को राजस्थान में रिलीज़ होने से रोक
कर विवाद के ख़त्म न होने का संकेत दे दिया है। संभव है कि कुछ दूसरी राज्य सरकारें
भी फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगा दे। लेकिन, फिलहाल,
सेंट्रल
बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन ने अपनी बला टाइटल बदल कर टाल दी है। टाइटल बदलने की
सेंसर बोर्ड की राजनीति प्रसून जोशी से समय की नहीं है। पहले के कई ऐसे उदाहरण हैं, जब फिल्मों के टाइटल बदल कर फ़िल्में रिलीज़
की गई। संजय लीला भंसाली की फिल्म गोलियों की रासलीला : राम-लीला का टाइटल इसका
प्रमाण है। भंसाली की २०१३ की इस फिल्म का टाइटल राम-लीला रखा गया था। फिल्म रिलीज़ होने से पहले इस फिल्म के टाइटल पर
विवाद खडा हो गया। हिन्दू संगठनों को अपने ईष्ट देव राम के नाम पर फिल्म का नाम
रखे जाने पर ऐतराज़ था। यह मामला कोर्ट तक
गया। इस पर राम-लीला के निर्माताओं ने फिल्म के ओरिजिनल टाइटल के साथ गोलियों की
रासलीला जोड़ कर फिल्म को गोलियों की रासलीला: राम-लीला कर दिया। इसके बाद किसी
हिन्दू संगठन को राम-लीला के साथ शीर्षक के बावजूद फिल्म पर ऐतराज़ नहीं रहा।
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