Friday 4 May 2018

एक पंकज त्रिपाठी, सात संवाद

फिल्म न्यूटन के लिए ख़ास राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी की मौजूदगी टीवी और सिनेमा के परदे पर सामान रूप से अनुभव की जाती है।

उनका व्यक्तित्व जितना आकर्षक है, उतनी ही उनकी संवाद अदायगी प्रभावशाली है।

वह जितनी शिद्दत से किसी गैंगस्टर किरदार को कर जाते हैं, उतनी ही दिल्लगी के साथ हास्य अभिनय भी कर ले जाते हैं।

आइये, अब तक ४० फ़िल्में और ६० टेलीविज़न शो कर चुके पंकज त्रिपाठी की फिल्मों के सात  अविस्मरणीय संवाद याद करते है।

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर - यह वासेपुर है ! यहाँ कबूतर भी एक पंख से उड़ता है और दूसरे से अपना इज्जत छुपता है.

न्यूटन- रूल्स रूल्स करते रहते हैं बेसिक रूल भूल गए. अद्दितिओन के पहले डिवीज़न होता है.

मसान- हमारे पिताजी कहते हैं जो खीर नहीं खाया वह मानुष योनी में पैदा होने का पूरा फायदा नहीं उठाया .

न्यूटन- वोटिंग मशीन एक खिलौने जैसा है. जो पसंद आये, अच्छा लगे, वह बटन दबा दो !

मसान- देवीजी आपको पता है यहाँ २८ ट्रेन रुकती हैं. और कितनी नहीं रूकती ?...! मतलब यहाँ आना आसान है, यहाँ से जाना मुश्किल है.

बरेली की बर्फी- अरे वाह ! यह तो संडास से लेके सुशीला तक सब दिख रहा है !

फेमस- सेक्स करते समय आदमी इमोशनल नहीं हो सकता क्या ?


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