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Saturday 21 October 2017

२१ अक्टूबर : शम्मी कपूर और तीसरी मंजिल की बर्थ डेट

अज़ब इत्तफ़ाक़ है।  आज बॉलीवुड के याहू स्टार...रिबेल हीरो.. शम्मी कपूर का जन्मदिन हैं।  आज ही शम्मी कपूर की  संगीत और फिल्म शैली को नई दिशा देने वाली फिल्म तीसरी मंज़िल रिलीज़ हुई थी।  तीसरी मंज़िल से पहले तक शम्मी कपूर हिट हो चुके थे।  उन्होंने तुमसा नहीं देखा, दिल देके देखो, उजाला, जंगली, दिल तेरा दीवाना, प्रोफेसर, ब्लफ मास्टर, राजकुमार, कश्मीर की कली और जानवर जैसी सुपरहिट  फिल्मों का ढेर लगा दिया था।  इसके बावजूद तीसरी मंज़िल ने शम्मी कपूर समकालीन युवाओं का पसंदीदा स्टार बना दिया था।  वह ऐसे स्टार थे, जो जाज म्यूजिक पर थिरक सकता है।  वह ट्विस्ट और चा चा चा भी कर सकता है।  वह
रिबेलियन नहीं, समर्पित और भावुक नायक भी है।  इस फिल्म के बाद भी शम्मी कपूर का करियर चलता रहा।  उन्होंने पांच साल और नायक की भूमिकाएं की।  उन्होंने चोला बदला १९७४ में, जब उन्होंने ज़मीर फिल्म में चरित्र भूमिका स्वीकार की और मनोरंजन फिल्म से निर्देशक की कुर्सी सम्हाली।  तीसरी मंज़िल शम्मी कपूर की ट्रेंड सेटर  फिल्म थी।  इस फिल्म ने आरडी र्मन के जरिये हिंदी फिल्म संगीत को पाश्चात्य संगीत से भिगो दिया।  विजय आनंद की बिना देवानंद के निर्देशित पहली हिंदी फिल्म थी।  इस फिल्म के बाद बहुत सी थ्रिलर फिल्में रिलीज़ हुई।  लेकिन, जो रोमांस तीसरी मंज़िल में था, उस मंज़िल को कोई दूसरी फिल्म नहीं छू सकी।


Friday 17 June 2016

संगम की नायिका ने कैबरे किया था

निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राजकपूर की फिल्म संगम १८ जून १९६४ को रिलीज़ हुई थी।  यह आर के फिल्म्स की ही नहीं, अभिनेता राजकपूर की भी पहली रंगीन फिल्म थी।  उससे पहले तक राजकपूर की सभी फ़िल्में श्वेत श्याम थी।  इस लिहाज़ से, राजकपूर की छोटे भाई शम्मी कपूर उनसे पहले रंगीन फिल्म जंगली (१९६१) के नायक बन चुके थे।  इस रोमांटिक ट्रायंगल फिल्म को इन्दर राज आनंद ने लिखा था।  फिल्म में राजकपूर, राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला का संगम हुआ था।  इस फिल्म का संगीत  शंकर जयकिशन ने दिया था।  टैक्नीकलर में बनाई गई फिल्म संगम की लम्बाई २३८ मिनट यानि चार घंटे से सिर्फ २ मिनट कम अवधि की थी । यह पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसमे दो मध्यांतर हुए।  फिल्म की तमाम शूटिंग वेनिस, पेरिस और स्विट्ज़रलैंड जैसी विदेशी लोकेशन पर हुई थी। देसी लोकेशन पर फिल्म को प्रयाग में शूट  किया गया था।  संगम के बाद ही बॉलीवुड की तमाम फिल्मों की शूटिंग विदेशी लोकेशन पर होने लगी।  आज़ादी के बाद, इस फिल्म में पहली बार चुम्बन का दृश्य दिखलाया गया।  यह शायद इकलौती ऎसी फिल्म है, जिसके ज़्यादातर गीतों पर बॉलीवुड  फिल्मों के टाइटल रखे गए।  बोल राधा बोल (ऋषि कपूर और जूही चावला), हर दिल जो प्यार करेगा (सलमान खान, प्रीटी जिंटा और रानी मुख़र्जी), महबूबा (संजय दत्त, अजय देवगन और मनीषा कोइराला), मेरे सनम (आशा पारेख, विश्वजीत और प्राण), दोस्त (धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और शत्रुघ्न सिन्हा), बुड्ढा मिल गया (नवीन निश्चल, ओम प्रकाश और अर्चना) आदि फिल्मों के टाइटल संगम के गीतों से ही उधार लिए गए थे।  संगम में राजकपूर के करैक्टर का नाम गोपाल था।  गोपाल राजकपूर का पारिवारिक ड्राइवर और केयर टेकर का नाम था।  राजेंद्र कुमार की भूमिका के लिए सबसे पहले दिलीप कुमार और फिर देव आनंद को एप्रोच किया गया था।  इनके मना करने पर ही राजेंद्र कुमार सुंदर के रोल  में लिए गए। दिलीप कुमार गोपाल या सुन्दर में से किसी भी रोल के लिए तैयार  थे, बशर्ते कि फिल्म की फाइनल एडिटिंग दिलीप कुमार ही करेंगे।  राजकपूर को यह मंजूर नहीं हुआ।  संगम के निर्माण में एक करोड़ खर्च हुए थे।   लेकिन, संगम ने बॉक्स ऑफिस पर १६ करोड़ की कमाई कर राजकपूर को मालामाल कर दिया। दसारी  नारायण राव ने संगम को तेलुगु और कन्नड़ में स्वप्ना टाइटल के साथ रीमेक किया।  १९८८ में संगम का रीमेक सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ राम अवतार बनाया गया।  



Sunday 29 May 2016

एक डॉक्टर की मौत को जीवंत करने वाले पंकज कपूर

सालों की मेहनत  और पारिवारिक ज़िन्दगी को दांव पर लगा कर  डॉक्टर दीपंकर रॉय लेप्रोसी की वैक्सीन खोज लेते हैं।  यह खबर आग की तरह चैनलों के माध्यम से फ़ैल जाती हैं।  एक अंजाना सा जूनियर डॉक्टर वर्ल्ड फेम हो जाता है।  इसके साथ ही डॉक्टर रॉय को प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हो जाता है।  उससे स्पष्टीकरण पूछा जाता है कि  लेप्रोसी वैक्सीन की खबर मीडिया में लीक कैसे हो गई।  उसे प्रशासन से लेकर शासन के उच्च स्तर से फटकार  मिलती है।  साथ के डॉक्टर उसे अपमानित करने की कोशिश करते हैं।  उसे दिल का दौरा पड़ता है। डॉक्टर का एक दूरस्थ गाँव में तबादला कर दिया जाता है। ऐसे समय में उसका साथ उसकी पत्नी और दो दोस्त ही देते हैं।  तभी खबर आती है कि लेप्रोसी वैक्सीन की खोज अमेरिकी  वैज्ञानिकों ने कर ली है। इसके साथ ही एक डॉक्टर की मौत हो जाती है।  यह कहानी है बांगला फिल्म डायरेक्टर तपन सिन्हा की १९९० में रिलीज़ फिल्म एक डॉक्टर की मौत की। यह फिल्म रामपद चौधरी की कहानी अभिमन्यु पर रामपद और तपन सिन्हा द्वारा लिखी गई थी। यह फिल्म नौकरशाही की तिकड़मों, सिस्टम द्वारा प्रतिभा को प्रताड़ित करने और मान्यता न देने की है। लेकिन, फिल्म यहां ख़त्म नहीं होती। डॉक्टर की मौत तब भी नहीं होती। फिल्म एक डॉक्टर की मौत मानवता की जीवंतता की कहानी है।  फिल्म के ख़त्म होते होते डॉक्टर रॉय को जॉन एंडरसन फाउंडेशन का एक खत मिलता है, जिसमे उसे दूसरे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ अन्य दूसरी बीमारियों की दवाएं खोजने का न्योता मिलता है। डॉक्टर रॉय अनुभव करते हैं कि उनकी मेहनत बेकार नहीं गई थी।  वह इस न्योते को स्वीकार करने का मन बनाते हैं, क्योंकि वह मानव कल्याण के लिए काम करते रहना चाहते हैं।  इस फिल्म में डॉक्टर रॉय की बीवी का किरदार शबाना आज़मी ने किया था।  साथी डॉक्टर  कुंडू का किरदार बांगला फिल्म अभिनेता अनिल चटर्जी कर रहे थे।  आज के विश्व प्रसिद्ध बॉलीवुड एक्टर इरफ़ान खान ने डॉक्टर रॉय के दूसरे दोस्त का किरदार किया था। यह इरफ़ान के करियर की तीसरी फिल्म थी। फिल्म में डॉक्टर दीपंकर रॉय का किरदार अभिनेता पंकज कपूर ने किया था।  पंकज कपूर का आज जन्मदिन (२९ मई १९६४) है।