Friday 3 April 2015

फ़ास्ट है.… फ्यूरियस है…लेकिन आखिरी नहीं है सातवी फिल्म !

दो घंटा १८ मिनट तक सांस रोकनी पड़े।  इतने ही समय तक अगले सीन के लिए बेताबी हो।  एक पल भी कुर्सी के किनारे से हट नहीं पाएं।  तो इसे क्या कहेंगे !!! यह फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७ का साँसे रोक देने वाला एक्शन है। भरी गाड़ियों की खतरनाक पहाड़ी मोड़ पर तेज़ रफ़्तार दौड़ है।  २००१ में शुरू फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की इस सातवी फिल्म में पहले वाली छह फिल्मों से अधिक रफ़्तार है और हैरतअंगेज एक्शन है।  इन एक्शन के लिए विन डीजल, पॉल वॉकर, ड्वेन जॉनसन, मिशेल रॉड्रिगुएज़, जोर्डाना ब्रूस्टर, टायर्स गिब्सन, लुडक्रिस, लुकास ब्लैक और जैसन स्टेथम से अच्छा चुनाव और कोई नहीं हो सकता था।  विन डीजल, पॉल वॉकर, दवाएं जॉनसन और मिशेल रॉड्रिगुएज़ तथा जैसन स्टेथम अपने एक्शन दृश्यों से दर्शकों को दहलाते हैं। वहीँ धुंआधार खतरनाक एक्शन के बीच बढ़िया कॉमेडी के सीक्वेंस भी हैं। टायर्स गिब्सन और लुडक्रिस की जोड़ी इसे बखूबी अंजाम देता है। खतरनाक चेस सेक्वेन्सेस और एक्शन से सहमा दर्शक हँसते हँसते लोटपोट हो जाता है और रिलीफ महसूस  करता है।  पॉल वॉकर और जोर्डाना ब्रूस्टर तथा विन डीजल और मिशेल रॉड्रिगुएज़ की रोमांटिक जोड़ियां फिल्मों को खालिस एक्शन फिल्म होने से बचाती है।  
डॉमिनिक टोरेंटो और ब्रायन ओ'कोनर और उनके साथी खतरों का काम छोड़ कर अपनी अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हो गए हैं।  लेकिन, डेकार्ड शॉ इन लोगों से अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता है।  वह उनके साथी हान को मार देता है।  जब टोरेंटो और उसके साथियों को इसका पता चलता है तो वह शॉ को ख़त्म करने निकल पड़ते हैं।  इसी के साथ शुरू होता है फ़ास्ट एंड फ्यूरियस की खतरनाक सफर।
'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' के अंग्रेजी संस्करण के अलावा हिंदी, तमिल, तेलुगु और बांगला संस्करण भी रिलीज़ किये जा रहे हैं।  स्तरीय डबिंग के कारण फिल्म का प्रभाव बरकरार रहता है। इंडियन बॉक्स ऑफिस के अब तक के जो समाचार हैं, उसके अनुसार 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' हॉलीवुड की सबसे अधिक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली फिल्म तो बनने जा ही रही है, यह २०१५ का हिंदी फिल्मों में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रही है।  वैसे 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज के भारत के प्रशंसकों के लिए खुशखबरी ! 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' सीरीज की आखिरी फिल्म नहीं। इस फिल्म के तीन हिस्से और भी देखने को मिलेंगे।  'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७' के आखिरी दृश्य, जिसमे शॉ को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाता है, इसका संकेत भी मिलता है।
तो देर क्या है आप भी देख आइये न हॉलीवुड का हैरतअंगेज कारनामा -'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७'
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Wednesday 1 April 2015

दिलीप कुमार की नातिन नहीं है यह सायशा सहगल

कल आर० विज़न की फिल्म 'उड़नछू' का ऐलान किया गया।  इस फिल्म से बिग बॉस ८ के विजेता गौतम गुलाटी डेब्यू कर रहे हैं। लेकिन, जैसे ही फिल्म में उनकी नायिका का नाम पुकारा गया, मौजूद पत्रकार चौंक पड़े।  क्या यह दिलीप कुमार और सायरा बानो की नातिन है? यानि पूर्व फिल्म अभिनेत्री शाहीन बानो और अभिनेता सुमीत सहगल की बेटी ! शाहीन और सुमीत की बेटी का नाम सायशा सहगल है।  आर० विज़न की फिल्म 'उड़नछू' में गौतम गुलाटी की नायिका का नाम भी सायशा सहगल है।  नाम की समानता के कारण पैदा हो रही और होने वाली गलती को भांप कर आयोजको ने साफ़ किया कि यह वह सायशा नहीं है।  यह दिलीप कुमार और सायरा बानो की नातिन नहीं है।  जी हाँ, इस सायशा का दिलीप कुमार और सायरा बानो से कोई नाता नहीं है।  वह नितांत गैर फ़िल्मी बैकग्राउंड से हैं और नाशिक की रहने वाली हैं।  २०१२ में वह आँखों में एक्टिंग का सपना लिए मुंबई आई।  कई थिएटर ग्रुप्स में काम किया।  वह अच्छी डांसर भी हैं। यहाँ तक कि सायशा सहगल किसी सायरा बानो की फैन  नहीं, बल्कि माधुरी दीक्षित उनकी आदर्श हैं। इस सायशा के आने से दिलीप कुमार नई नातिन सायशा को नाम की दिक्कत हो सकती है। पिछले साल शाहीन बानो और सुमीत सहगल की बेटी सायशा सहगल को अजय देवगन के साथ फिल्म 'शिवाय' का ऐलान किया गया था।  उड़नछू से गौतम गुलाटी और सायशा सहगल के  अलावा फिल्म के निर्देशक विपिन  पराशर का भी मुख्य धारा की फिल्मों में डेब्यू हो रहा है।  वह म्यूजिक वीडियो के अलावा हिंदी फिल्म 'नो एग्जिट'  निर्देशन  भी कर रहे हैं।

राजेंद्र कांडपाल

लक्ष्मी राय का हिंदी फिल्म डेब्यू वाया 'अकीरा'

दक्षिण की हॉट एक्ट्रेस लक्ष्मी राय का बॉलीवुड डेब्यू होने जा रहा है।  हालाँकि, वह एक दक्षिण के डायरेक्टर की फिल्म से डेब्यू कर रही हैं। ए आर मुरुगदॉस की फिल्म 'अकीरा' की नायिका सोनाक्षी सिन्हा हैं।  इसी एक्शन फिल्म से लक्ष्मी राय का भी डेब्यू होने जा रहा है।  लक्ष्मी राय दक्षिण की सफल अभिनेत्रयों में हैं।  इसके बावजूद कि  वह दक्षिण की फिल्मों में सफल हैं, लक्ष्मी राय ने कभी हिंदी फिल्मों को तरजीह नहीं दी।  हालाँकि, उनके भारतीय क्रिकेट टीम के मशहूर खिलाडियों के साथ अफेयर चले।  सबसे ज़्यादा सुर्खियां मिली महेंद्र सिंह धोनी और लक्ष्मी राय के अफेयर को।  यह आईपीएल २०११ का सीजन था।  मुंबई के अख़बारों के ज़रिये राय-धोनी रोमांस सुर्खियां पाने लगा। उस दौरान यह सोचा गया कि यह लक्ष्मी राय की बॉलीवुड फिल्म पाने की गिमिक है।  लेकिन, लक्ष्मी राय ने बॉलीवुड फिल्म करने से साफ़ मना कर दिया।  कुछ समय बाद यह रोमांस अपनी मौत मर गया।  हालाँकि, लक्ष्मी राय आज भी इस रोमांस को अपनी ज़िन्दगी का घाव मानती हैं। लक्ष्मी राय का कुछ समय तक क्रिकेटर श्रीसंथ के साथ भी रोमांस चला। लक्ष्मी राय को बॉलीवुड  फिल्म करने का पहला मौका हिमेश रेशमिया ने अपनी फिल्म 'हाय गुज्जु' में दिया था।  लक्ष्मी राय 'हाय गुज्जु' की नायिका बन गई होती, अगर उन्होंने हिमेश रेशमिया की उस समय रिलीज़ फिल्म 'क़र्ज़' न देख ली होती।  क़र्ज़ देखने के बाद लक्ष्मी को लगा कि वह ऎसी फिल्मों का हिस्सा नहीं बन सकती।  उन्होंने फिल्म छोड़ दी। 'हाय गुज्जु' भी बन नहीं सकी। ' अकीरा' में राय लक्ष्मी (अब उन्होंने अपना यही नाम रख लिया है ) का फुलफ्लेज हीरोइन वाला नहीं।  फिल्म में वह एक महत्वपूर्ण मेहमान भूमिका में हैं।  मुरुगदॉस ने अब तक जो हिंदी फ़िल्में बनाई हैं, वह सुपर डुपेर हिट रही हैं।  अगर 'अकीरा' हिट हुए तो सोनाक्षी सिन्हा की बल्ले बल्ले तो होगी ही, राय लक्ष्मी की बॉलीवुड गाडी भी चल निकलेगी।


अल्पना कांडपाल



फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की सातवीं फिल्म

भारत में हॉलीवुड फिल्मों का दबदबा कायम है। २०१२ में रिलीज़, हॉलीवुड की सुपरहीरोज वाली फिल्म 'द अवेंजर्स' को अनिल कपूर और अजय देवगन की फिल्म 'तेज़' को मौजूदगी में मिली सफलता  से हॉलीवुड का  हौसला बढ़ा हुआ है।  सुपरमैन, स्पाइडर-मैन, रेजिडेंट ईविल, हैरी पॉटर, आदि सीरीज हिन्दुस्तानी दर्शकों की पसंदीदा फिल्म सीरीज हैं।  ऐसी एक अन्य सीरीज 'फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज' भी है। २००१ से शुरू, इस सीरीज की पहली छह फिल्मों को पूरी दुनिया के साथ भारत में भी सफलता मिली थी।  अब इस सीरीज की सातवी और आखिरी फिल्म ३ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही है। 'द फ़ास्ट एंड द फ्यूरियस' सीरीज एक्शन फ़िल्में इस मायने में अलग है कि इनका फोकस हमेशा ही स्ट्रीट कार रेसिंग और डकैती पर रहता है। कथानक में थोड़ा हेरफेर हो सकता है, लेकिन मोटे तौर पर इन फिल्मों में नई और भारी गाड़ियों की तेज़ रफ़्तार और खतरना कार स्टंट प्रमुख होते हैं। यूनिवर्सल स्टूडियोज द्वारा निर्मित  इस सीरीज की पहली फिल्म 'द फ़ास्ट एंड द फ्यूरियस' २००१ में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद से अब तक फिल्म के पांच सीक्वेल बनाये जा चुके हैं।  इस सीरीज की सातवी और आखिरी फिल्म 'फ्यूरियस ७' इस शुक्रवार ३ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही है । दुखद यह है कि सीरीज की सातवी और आखिरी कड़ी अपने एक सदस्य पॉल वॉकर को खोकर ख़त्म हो रही है।  फिल्म की शूटिंग के दौरान ही तेज़ रफ़्तार कार चलाने के शौक़ीन पॉल वॉकर एक सड़क दुर्घटना में अपनी ज़िन्दगी गवा बैठे थे ।  फिल्म के निर्माताओं ने पॉल की मौत निर्माण के दौरान तथा रोल पूरा शूट किये बिना हो जाने के बावजूद पॉल के किरदार  को निकाला या किसी अन्य अभिनेता को सौंपा नहीं,बल्कि उनके भाई की मदद से पॉल वॉकर के हिस्से की शूटिंग पूरी करवाई ।  आइये जानते हैं इस सीरीज की  आखिरी फिल्म और उससे पहले पहली छह फिल्मों के बारे में -
२००१- द फ़ास्ट एंड द फ्यूरियस- फिल्म के कथानक के अनुसार लॉस एंजेल्स पुलिस का एक अंडरकवर पुलिस वाला ब्रायन ओ'कोंनेर स्ट्रीट कार रेसर के समूह में शामिल हो जाता है। उसका इरादा उनके ग्रुप के जरिये अपहरणकर्ताओं के इरादों को नाकाम करना है।  अब होता यह है कि उसके यह नए साथी ही संदेह के घेरे में आ जाते हैं। ऐसे में उसे अपने अपने नये दोस्तों या ड्यूटी में से किसी एक को  चुनना है।  इस फिल्म का निर्देशन रॉब कोहेन ने किया था। 
२००३- २ फ़ास्ट एंड २ फ्यूरियस - पूर्व पुलिस कर्मी ब्रायन ओ'कोंनेर को अपहर्ताओं के लीडर को भगाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया जाता है। अब उसे इस जुर्म बचने के लिए अपने कॉलेज के पुराने दोस्त की मदद से लोकल ड्रग एक्सपोर्टर को गिरफ्तार करना है। यह इस सीरीज की इकलौती फिल्म है, जिसमे विन डीजल नहीं थे।  केवल उनके करैक्टर का ज़िक्र किया जाता है। इस फिल्म में मेल गिब्सन ब्रायन के पुराने दोस्त बने थे।
 २००६- द फ़ास्ट एंड द फ्यूरियस : टोक्यो ड्रिफ्ट- इस तीसरी फिल्म की पृष्ठभूमि टोक्यो होने के कारण फिल्म की ज़्यादातर कास्ट नई थी।  फिल्म में लुकास ब्लैक ,नताली केली, बोव वाओ, सुंग कांग और ब्रायन टी मुख्य भूमिका में थे।  विन डीजल का कैमिया था। अमेरिका से आया एक किशोर टोक्यो में ड्रिफ्ट रेसिंग की  दुनिया में चुनौती बन कर उभरता है।  इस फिल्म का निर्देशन जस्टिन ली ने किया था।
 २००९-  फ़ास्ट एंड फ्यूरियस- ब्रायन ओ' कोनोर अब एफबीआई के लिए काम करने लगा है।  ब्रायन और डोमिनिक टोरेंटो को लॉस एंजेल्स में एक हीरोइन तस्कर को पकड़ने का काम सौंपा गया है। जस्टिन लीन के निर्देशन में फिल्म में पहले वाली कास्ट फुल फॉर्म में थी।
२०११- फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ५- यह फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की दूसरी ट्राइलॉजी की दूसरी फिल्म थी। डोमिनिक टोरेंटो, ब्रायन ओ'कोनोर और मिया टोरेंटो एक भ्रष्ट बिजनेसमैन के  १०० मिलियन डॉलर की डकैती डालने की योजना बनाते हैं।  इस फिल्म में अमेरिकी डिप्लोमेटिक सिक्योरिटी सर्विस एजेंट ल्यूक हॉब्स के  ड्वेन जॉनसन आ गए थे।  फिल्म का निर्देशन जस्टिन लीन ने ही किया था।
२०१३- फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ६- एक सौ मिलियन डॉलर की  डकैती के बाद टोरेंटो और उसके साथी अलग अलग हो जाते हैं।  हॉब्स ऐसे खतरनाक भाड़े के हत्यारों को गिरफ्तार करना चाहता है, जो सडकों पर तेज़ रफ़्तार गाड़ियां भगाते और हत्याएं करते चले जाते हों।  हॉब्स इस गिरोह ख़त्म तभी कर सकता  है, जब रफ़्तार में इस गिरोह का कोई मुकाबलेबाज़ हो। ऐसे में हॉब्स को टोरेंटो और कोनोर की याद आती है। जस्टिन लिन फिल्म  के निर्देशक थे।
२०१५- फ्यूरियस ७- डेकार्ड शॉ को अपने भाई की मौत का बदला डोमिनिक टोरेंटो से लेना है।  वह अपना  बदला
कैसे लेगा या फिर ले पायेगा या नहीं ! फिल्म का निर्देशन मलेशियन डायरेक्टर जेम्स वान कर रहे हैं। उन्हें सॉ, डेड साइलेंस, इंसिडियस, द कंजूरिंग, इंसिडियस चैप्टर २ लिए जाना जाता है।  वह पहली बार फास्टर एंड फ्यूरियस सीरीज की किसी फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं।  इस फिल्म की लम्बाई १३७ मिनट की है।
फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फिल्मों में पॉल वॉकर ने ब्रायन ओ'कोनोर, विन डीजल ने डॉमिनिक टोरेंटो, मिशेल रॉड्रिगुएज़ ने लेट्टी ओर्तीज़,  जॉर्डन ब्रूस्टर ने मिया टोरेंटो, चाड लिंडबर्ग ने जेसे, जॉनी स्ट्रांग ने लीओन, मैट शुल्ज़ ने विन्स और रिक युन ने जॉनी ट्रेन के किरदार किये थे। फिल्म में अभिनेता जैसन स्टेथम मुख्य विलेन बने हैं।  इस सीरीज के दुनिया भर के प्रशंसकों के लिए खुशखबरी हो सकती है कि सीरीज का निर्माता स्टूडियो यूनिवर्सल पिक्चर्स इस सीरीज को १० हिस्सों तक  ले जाना चाहता है।  ऐसे संकेत 'फ़ास्ट  एंड फ्यूरियस :टोक्यो ड्रिफ्ट' के हीरो लुकास ब्लैक को इस सीरीज की दो फिल्मों के लिए साइन किये जाने से मिले हैं। इसके अलावा प्रमुख स्टूडियोज के एक्सेक्यूटिव्स की मीटिंग में यूनिवर्सल पिक्चर्स की सीईओ ने भी तीन फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फिल्मों की संभावना के संकेत दिए।  स्टूडियो का सोचना है कि इस सीरीज में नए चरित्रों को जोड़े जाने की संभावनाएं हैं।  इसके अलावा सीरीज की पिछली तीन चार फिल्मों का बिज़नेस काफी बढ़ा है।  लेकिन, सब कुछ निर्भर करेंगे फ्यूरियस ७ की बॉक्स ऑफिस पर सफलता पर।

अल्पना कांडपाल

लो फिर आ गए डिटेक्टिव 'दादा' ब्योमकेश बक्शी

३ अप्रैल को ७०एम एम के परदे पर एक बंगाली डिटेक्टिव नज़र आएगा। बांगला कहानी से निकले ब्योमकेश बक्शी नाम के इस जासूस ने अपनी बुद्धि के बल पर कई ऐसे मामलों को सुलझाया था, जिन्हे सुलझाने में कलकत्ता पुलिस हार मान चुकी थी। लेखक शरदिंदु बंदोपाध्याय ने इस चरित्र का निर्माण चालीस के दशक के, द्वितीय विश्वयुद्ध से घायल कलकत्ता की पृष्ठभूमि पर किया था ।  ब्योमकेश कॉलेज का छात्र था। वह अति चतुर युवा था। वह तर्क शक्ति और सूक्षम दृष्टि रखता था।  इसीलिए वह जटिल से जटिल मामले सुलझा पाने में सफल होता था।  ज़ाहिर है कि  ऐसे करैक्टर पर फ़िल्में बननी ही चाहिए थी ।  हालाँकि, 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' से पूर्व हिंदी में कोई भी फिल्म ब्योमकेश बख्शी के किरदार पर नहीं बनाई गई, लेकिन कुछ बांगला फिल्मे ज़रूर बनी। इनमे अंजन दत्ता की ब्योमकेश ट्राइलॉजी कुछ ख़ास है। हिंदी में ब्योमकेश बक्शी की कहानियों पर एक सीरियल ज़रूर बनाया गया, जिसे अच्छी सफलता मिली। 
ब्योमकेश के रचयिता शरदिंदु
शरदिंदु एक बांगला लेखक थे। उन्हें बांगला साहित्य का स्तम्भ  माना जाता है।  उन्होंने बांगला और हिंदी फिल्मों के लिए भी लिखा।  उनकी कलम से ब्योमकेश बक्शी का किरदार १९३२ में जन्मा। उन्होंने ब्योमकेश के किरदार के साथ ३३ जासूसी कहानियां लिखीं। इस जासूस का एक दोस्त अजित भी था। शरदिंदु १९३२ में फ़िल्में लिखने के लिए बॉम्बे आ गए।  उन्होंने बॉम्बे टाल्कीस और अन्य बैनरों  के लिए फ़िल्में लिखीं ।  उन्होंने तृषाग्नि को लिखा।  अपना पूरा ध्यान लेखन में लगाने के लिए वह १९५८ में बॉम्बे से पुणे चले गए।  उन्होंने अपने जीवन में कई नाटक लिखे, उपन्यासों की रचना की, बहुत सी लघु कथाओं को जन्म दिया।  उनकी पांच लघु कहानियों का इंग्लिश में अनुवाद किया गया।
ब्योमकेश बक्शी बांगला पुस्तकों और अख़बारों के कारण बंगाली जनमानस में लोकप्रिय था।  इसलिए बंगाल में इस किरदार पर फ़िल्में बनाया जाना स्वाभाविक था।  यहाँ तक कि सत्यजित रे ने ब्योमकेश की एक कहानी पर फिल्म बनाई और उत्तम कुमार जैसे अभिनेता ने ब्योमकेश का किरदार किया।  आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ बांगला फिल्मों, टीवी सीरियलों और हिंदी फिल्म के बारे में -
चिड़ियाखाना (१९६७)- शरदिंदु बंदोपाध्याय के ब्योमकेश करैक्टर पर सत्यजित रे ने १९६७ में 'चिड़ियाखाना' फिल्म बनाई थी। इस फिल्म में अभिनेता उत्तम कुमार ने सत्यान्वेषी  ब्योमकेश का किरदार किया था।  इस रोल के लिए उत्तम कुमार को नेशनल अवार्ड मिला था।  एक अमीर आदमी को शक है कि कोई उसे मार देना चाहता है।  वह इसका पता लगाने के लिए ब्योमकेश को नियुक्त करता है।  लेकिन, एक दिन वह अमीर  आत्महत्या कर लेता है।  अब रहस्य की नयी नयी परतें खुलती चली जाती हैं। 
ब्योमकेश बक्शी (टीवी सीरियल १९९३-९७)- बंगाली ब्योमकेश पर टीवी सीरियल बासु चटर्जी ने बनाया था।  वह शरदेन्दु के साथ सीरियल के लेखक तथा निर्देशक थे।  यह सीरियल ३४ एपिसोड्स में १९९३ और १९९७  में दिखाया गया। इसमे शरदेन्दु की ब्योमकेश की जासूसी पर लिखी गई सभी कहानियां शामिल की गई थी।  इस सीरियल में धोती कुरता पहने बंगाली डिटेक्टिव दादा का किरदार एक पंजाबी अभिनेता रजित कपूर ने क्या खूब किया था। केके रैना और रवि झंकाल जैसे अभिनेता भी इस सीरियल में सह भूमिकाओं में थे।
 ब्योमकेश बक्शी (बांगला फिल्म २०१० )- बांगला फिल्मों के अभिनेता- निर्देशक अंजन दत्ता ने अबीर चटर्जी को ब्योमकेश  बक्शी का जामा पहना कर ब्योमकेश ट्राइलॉजी का निर्माण किया। इस त्रयी की पहली फिल्म ब्योमकेश बक्शी थी। इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन अंजन दत्ता ने किया था।  फिल्म में डिटेक्टिव की भूमिका बंगाली अभिनेता अबीर चटर्जी ने की थी। इस फिल्म की दर्शकों ने बुरी आलोचना की थी।  ख़ास तौर पर निर्देशक अंजन दत्ता  की।  कहते हैं कि ब्योमकेश का किरदार करने से पहले अबीर को कोई नहीं जानता था।   लेकिन,ब्योमकेश बक्शी के बाद वह पूरे बंगाल में मशहूर हो गए। इस फिल्म में शरदेन्दु की कहानी आदिम रिपु (बेसिक इंस्टिंक्ट) को फिल्माया गया था। 
आबार ब्योमकेश (२०१२)-  ब्योमकेश  ट्राइलॉजी की दूसरी फिल्म २३ मार्च २०१२ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म में एक बार फिर अबीर चटर्जी ब्योमकेश के किरदार में हिमालय की वादी में एक फोटो की चोरी का पेंच सुलझाने में उलझ जाते हैं।
ब्योमकेश फिर एलो (२०१४)- ब्योमकेश ट्राइलॉजी की तीसरी और आखिरी फिल्म ब्योमकेश फिर एलो १९ दिसंबर २०१४ को रिलीज़ हुई।  इस फिल्म में कलकत्ता में ब्योमकेश के मशहूर हो जाने के बाद की कहानी थी।  कलकत्ता पुलिस एक धनी की हत्या की गुत्थी सुलझाने में मदद मांगती है।  इस फिल्म के ब्योमकेश तीसरी बार भी अबीर चटर्जी ही थे।
डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी (२०१५)- निर्देशक दिबाकर बनर्जी की ब्योमकेश किरदार वाली यह फिल्म चालीस के दशक के दूसरे विश्व युद्ध से टूटे कोलकत्ता को समकालीन सन्दर्भ में पेश करती है।  फिल्म में दिबाकर ने कॉलेज से निकले ब्योमकेश के पहले केस पर कहानी गढ़ी है। ब्योमकेश का सामना एक दुष्ट जीनियस से पड़ता है, जो  दुनिया को नष्ट कर देना चाहता है।  फिल्म में ब्योमकेश का किरदार सुशांत सिंह राजपूत ने किया है। अभिनेता आनंद तिवारी ब्योमकेश के दोस्त अजित के किरदार में है।  यह फिल्म ३ अप्रैल २०१५ को रिलीज़ होने जा रही है। 
हिंदुस्तान में, ख़ास तौर पर बॉलीवुड में, जासूस करैक्टर पर बहुत सी फ़िल्में बनी हैं।  जीतेन्द्र की फ़र्ज़ और मिथुन चक्रवर्ती का फिल्म सुरक्षा का किरदार जी९ हिंदुस्तानी नहीं जेम्स बांड की नक़ल लगता है।  इस लिहाज़ से ब्योमकेश बक्शी के किरदार को देसी जासूस कहा जा सकता है।  हालाँकि, इस जासूस चरित्र को भी हिंदुस्तान का शर्लाक होम्स बताया जाता है।  लेकिन, 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' के निर्देशक दिबाकर बनर्जी इससे सहमत नहीं।  वह कहते हैं, " ब्योमकेश बक्शी ठेठ हिंदुस्तानी जासूस है।  वह भारतीय जनमानस  से सीधा कनेक्ट करता है।  ऐसा कनेक्शन शर्लाक होम्स नहीं बना पाता। "




अल्पना कांडपाल 

'मस्तीज़ादे' की रिलीज़ में सनी लेओनी का लोचा !

अपनी फिल्मों की रिलीज़ में उलझ गई लगती है सनी लेओनी ।  सनी की इस उलझन का नतीजा है कि  'मस्तीज़ादे' को अपने कदम पीछे खींचने पड़ रहे हैं। जी हाँ, इस साल रिलीज़ होने वाली फिल्मों का कैलेंडर उठा कर देखे तो सनी लेओनी की बैक टू बैक तीन फ़िल्में रिलीज़ होनी थी।  इनमे 'एक पहेली लीला'  १० अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही है।  इसके बाद, लेकिन 'कुछ कुछ लोचा है' की रिलीज़ के एक हफ्ता पहले 'मस्तीज़ादे' को रिलीज़ होना था।  लेकिन, बॉलीवुड फिल्मों की रिलीज़ के नए कैलेंडर में सनी लियॉन की प्रोडूसर रंगीता नंदी की फिल्म 'मस्तीज़ादे' का नाम नदारद है।  इस साल की शुरू में सनी लेओनी के साथ तीन कड़क छोकरों रितेश देशमुख, तुषार कपूर और वीर दस की फिल्म 'मस्तीज़ादे' का लम्बा शिड्यूल थाईलैंड में शूट किया गया था।  खुद सनी लेओनी ने इस  शूट की फोटो सोशल साइट्स  पर डाली थी।  लेकिन, 'एक पहेली लीला' के बाद रिलीज़ होने वाली 'मस्तीज़ादे' का अभी तक कोई पोस्टर भी रिलीज़ नहीं हुआ है।  जबकि, ८ मई को रिलीज़ होने जा रही सनी लियॉन और राम कपूर की फिल्म 'कुछ कुछ लोचा है' का ट्रेलर आज यानि ३१ मार्च को रिलीज़  भी कर  दिया गया।  ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिस फिल्म की शूटिंग की शुरुआत इतनी मस्ती भरी हुई हो, उस 'मस्तीज़ादे' का प्रचार तक क्यों नहीं शुरू किया जा सका है।  फिल्म के निर्देशक मिलाप जावेरी ने मुंह सी लिया है। रंगीता भी कुछ साफ़ नहीं बताती।  इससे लगता है कि कुछ कुछ लोचा ज़रूर है। सूत्र बताते हैं कि  इसके लिए ज़िम्मेदार हैं खुद सनी लेओनी।  वह 'रागिनी एमएमएस २' का फायदा जम कर लपेट रही हैं। एक के बाद एक तीन फ़िल्में निर्देशक बॉबी खान की जय भानुशाली के साथ 'एक पहेली लीला', निर्देशक देवांग ढोलकिया की राम कपूर, एवलीन शर्मा और नवदीप छाबड़ा के साथ फिल्म 'कुछ कुछ लोचा है' और निर्देशक मिलाप जावेरी की फिल्म 'मस्तीज़ादे' की लगातार रिलीज़ सनी लेओनी  की फ़िल्में झटक लेने की हड़बड़ी का ही नतीजा हैं।  उस पर करेला पर नीम चढ़ा यह कि उन्होंने अभी अभी अपने हस्बैंड डेनियल वेबर के साथ एक थ्रिलर फिल्म  'डेंजरस हुस्न' भी साइन कर ली।  इस समय स्थिति यह है कि सनी लेओनी अपनी फिल्म 'एक पहेली लीला' के प्रमोशन में चैनल चैनल और शहर शहर घूम रही हैं।  'एक पहेली लीला' के बाद  सनी को 'कुछ कुछ लोचा है' के प्रमोशन में जुटना होगा। उनके पास समय ही नहीं है कि  मस्तीज़ादे को समय दे पाएं।  इसीलिए, अब 'मस्तीज़ादे', जो 'कुछ कुछ लोचा है' के बाद रिलीज़ होने वाली थी, अब 'कुछ कुछ लोचा है' के बाद ही रिलीज़ हो पाएगी।  लेकिन, कब रिलीज़ होगी ! इसमे सनी लेओनी का लोचा है।  


अल्पना कांडपाल

बॉलीवुड चला गुजरात !

बॉलीवुड कहिये या हिंदी फ़िल्में कहिये, इन पर पंजाबी संस्कृति का बड़ा प्रभाव रहा है।  पंजाबी संस्कृति और सभ्यता अन्य किरदारों पर भारी पड़ी हैं। कभी बंगाली किरदारों पर भी फ़िल्में देखने को मिली। कल हो न हो, हाउसफुल, हमशकल्स, देसी बॉयज, आदि छिटपुट हिंदी फिल्मों में गुजराती किरदार कॉमेडी करते नज़र आये। लेकिन, किसी गुजराती किरदार पर एक पूरी फिल्म देखने को नहीं मिली।  यह बात दीगर है कि  गुजराती एक्टर्स ने बॉलीवुड को अपनी अभिनय प्रतिभा से प्रभावित किया। जैकी श्रॉफ, डिंपल कपाड़िया, शरमन जोशी, परेश रावल, आदि प्रतिभाशाली एक्टर्स ने फिल्म दर्शकों को  प्रभावित किया। नंदिता दास, अनुराग बासु, राहुल ढोलकिया, आदि  फिल्मकारों ने २००२ के गुजरात दंगों के माहौल को दर्शाने वाली फ़िल्में बनाई। कुछ फिल्मकारों की  'द  गुड रोड',  'भवानि भावे', 'गांधी माय फादर' जैसी फिल्मों में अपनी ऐतिहासिकता के कारण गुजराती माहौल ज़रूर नज़र आया।  लेकिन, यह मुख्य धारा की हिंदी फ़िल्में नहीं थी।
गुजरात और मुख्य धारा की फ़िल्में
लेकिन, अब कहा जा सकता है कि बॉलीवुड गुजरात की संस्कृति और सभ्यता से प्रभावित होता जा रहा है। अभिषेक कपूर की फिल्म 'काई पो चे' ने बड़े दर्शक वर्ग का ध्यान गुजरात की तरफ खींचा। संजयलीला भंसाली की फिल्म 'गोलियों की रास लीला : राम-लीला' ने इसे क्रेज बना दिया।  ऎसी कुछ फ़िल्में बनाई जा रही हैं, जिनमे गुजरात या गुजराती माहौल है। आइये जानते हैं कुछ आगामी फिल्मों को -
रईस -  शाहरुख़ खान इस फिल्म में एक गुजराती डॉन के किरदार में नज़र आएंगे।  राहुल ढोलकिया की फिल्म 'रईस' में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक ईमानदार पुलिस अधिकारी का किरदार कर रहे हैं, जो इस डॉन को पकड़ना चाहता है।  इस फिल्म के लिए पाकी एक्ट्रेस महिरा खान को लिया गया है। फिल्म को खुद राहुल ढोलकिया ने हरित मेहता के साथ लिखा है। राहुल ढोलकिया की एक फिल्म 'परजानिया' गुजरात की पृष्ठभूमि पर फिल्म थी। यह फिल्म १७ जुलाई को रिलीज़ हो सकती है।
नरेंद्र मोदी पर फिल्म - भारतीय प्रधान मंत्री की जीवन यात्रा पर फिल्म का निर्माण एनआरआई फिल्म निर्माता मितेश पटेल के करने की खबर है।  इस फिल्म में नरेंद्र मोदी की जीवन यात्रा परेश रावल करेंगे।  वह गुजरात से बीजेपी के सांसद भी हैं। मेहता ने इस फिल्म के लिए प्रधान मंत्री से अनुमति भी ले ली है।  इस फिल्म को ४दी तकनीक से बनाने की योजना भी है।  फिल्म का बजट ४० करोड़ के आस पास है।
सुपर पावर गुजराती- बताया जा रहा है कि उड़ान और लुटेरा फिल्म के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने की अगली फिल्म एक ऐसे   गुजराती युवक की कहानी होगी, जिसे सुपर पावर मिली हुई हैं।  यह फिल्म व्यवस्था के प्रति आम आदमी के गुस्से को दिखाएगी।  इस फिल्म में इमरान खान गुजराती युवा का किरदार करेंगे। यह फिल्म एक गुजराती उपन्यास पर बनाई जा रही है।
सॉलिड पटेल्स- निर्देशक सौरभ वर्मा की फिल्म 'सॉलिड पटेल्स' दो गुजराती युवकों की कहानी है, जो मुंबई में एक अपार्टमेंट लेकर रह रहे हैं।  इन्हे यह नहीं मालूम कि उन्हें करना क्या है, पर इन्हे उम्मीदें हैं कि  अच्छे दिन आएंगे।  फिल्म में शिव पंडित और केतन सिंह ने गुजराती युवकों का किरदार किया है।  शहजान पदमसी शिव पंडित की प्रेमिका बनी है, जिसके पिता से शिव ने उधार ले रखा है।  जल्दी आमिर बनाने के चक्कर में यह दोनों किस चक्कर में फंसते हैं, यह फिल्म का कॉमेडी पक्ष है।  'सॉलिड पटेल्स' २४ अप्रैल को रिलीज़ होगी।
यह गुजराती लीलाएं
गैर गुजराती लड़कियों ने हिंदी दर्शकों के बीच गुजराती  किरदारों को लोकप्रिय बनाने में अहम रोल अदा किया है।  इन अभिनेत्रियों को परदे पर  देख कर यह एहसास नहीं होता था कि वह वास्तव में पंजाबी हैं या  दक्षिण भारत से हैं।  आइये  डालते हैं ऎसी ही अभिनेत्रियों के गुजराती किरदारों पर एक नज़र -
दीपिका पादुकोण (गोलियों की रास लीला :राम-लीला) - दीपिका पादुकोण कन्नड़ भाषी हैं।  वह कनाडा में पैदा हुई थी। संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म 'गोलियों की रास लीला : राम- लीला में गुजराती लड़की लीला का किरदार किया था।  भारी लहंगा और चोली में धजी दीपिका ठेठ गुजराती उच्चारण के ज़रिये दर्शकों की हरदिल अज़ीज़ लीला बन गई।
 श्रद्धा कपूर (गोरी तेरे प्यार में)- श्रद्धा कपूर पंजाबी पिता और मराठी माँ की संतान हैं।  उन्होंने पुनीत मल्होत्रा निर्देशित फिल्म गोरी तेरे प्यार में में गुजराती लड़की शब्बू पटेल का किरदार किया था।  यह किरदार छोटा लेकिन, प्रभावशाली था।  श्रद्धा कपूर ने इस छोटे रोल में भी करीना कपूर के बराबर नाम पाया।
अमृता पुरी (काई पो चे)- अमृता पुरी ने  अभिषेक कपूर की फिल्म 'काई पो चे' मे सीधी सादी गुजरातन विद्या का किरदार किया था, जो गोविन्द यानि राजकुमार यादव से प्यार करने लगती हैं।  अमृता पुरी भी मुंबई में पैदा और पली बढ़ी पंजाबन हैं।  पहली फिल्म आयशा में उनका किरदार काफी मॉडर्न और खुला था।  अमृता ने विद्या के किरदार को सहज और सरल बना कर पेश किया था।
लारा दत्ता (हाउसफुल)- लारा दत्ता पंजाबी पिता और एंग्लो इंडियन माँ की संतान हैं।  उन्होंने साजिद खान की फिल्म 'हाउसफुल' में मिनी स्कर्ट पहनने वाली शहरी गुजराती लड़की हेतल की भूमिका की थी, जो फ़ोन पर अपने पिता से गुजरती में बात करती है।  लारा ने अपने गुजराती लहजे से हेतल के किरदार में जान डाल दी थी।
करीना कपूर (चुप चुप के)- करीना कपूर भी पंजाबी हैं।  उन्होंने दो फिल्मों  प्रियदर्शन की कॉमेडी चुप चुप के में गुजराती श्रुति का किरदार किया था।  चुप चुप के में वह गूंगी थी।
अमीषा पटेल (आप मुझे अच्छे लगने लगे)- अमीषा पटेल महाराष्ट्रियन हैं। उन्होंने फिल्म आप मुझे अच्छे लगने लगे में अपने पिता और भाइयों से डरी लड़की सपना का किरदार।   यह उनका गुजराती किरदार था।
ग्रेसी सिंह (लगान)- ग्रेसी सिंह दिल्ली से हैं।  उन्होंने आशुतोष गोवारिकर के फिल्म गुजरात के देहात की गौरी  का किरदार अपने गुजराती लहंगा चोली और बोली से क्या खूब किया था।
केतकी दवे (आमदनी अठन्नी खर्च रुपैया)- केतकी दवे गुजराती  हैं।  लेकिन, उनका फिल्म आमदनी अठन्नी खर्च रुपैया में विमला के किरदार को कुछ इतने प्रभावशाली ढंग से  किया कि  वह हिंदी दर्शकों की पसंदीदा बन गई।  अब यह बात दीगर है कि उन्हें गुजराती महिला के किरदारों में टाइप्ड कर दिया गया।
ऐश्वर्या राय (हम दिल दे चुके सनम)- संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में ऐश्वर्या राय का नंदिनी का किरदार उनके श्रेष्ठ किरदारों में है। बंगाली ऐश्वर्या राय को इस फिल्म मे अपनी वेशभूषा' नृत्य और लहज़े से ही गुजराती नंदिनी बनना था। उन्होंने इसे बेहतरीन तरीके से किया भी।
स्मिता पाटिल (मंथन)- स्मिता पाटिल ने अपने किरदारों से बार बार खुद को बेजोड़ साबित किया।  अपनी  प्रतिभा के बल पर ही यह मराठी लड़की स्मिता पाटिल ने श्याम बेनेगल की गुजरात की श्वेत क्रांति पर आधारित फिल्म 'मंथन' गुजरात के देहात की लड़की बिंदु का किरदार स्वाभाविक तरीके से किया था।
उपरोक्त फिल्मों और गुजराती चरित्रों की सफलता से ऐसा लगता है कि बॉलीवुड पंजाबी संस्कृति से उबर कर गुजराती संस्कृति को अपनाता जा रहा है।  परन्तु, वास्तविकता यह है कि  बॉलीवुड के फिल्म एक्टर अब भिन्न करैक्टर करना चाहते हैं।  इसी कारण से गुजराती संस्कृति और माहौल पर फ़िल्में बन रही है।  बॉलीवुड संस्कृति में जीवंतता और उत्साह खासा है।  बॉलीवुड इसे भुनाना चाहता है।  वाइब्रेंट गुजरात का नारा भी निर्माताओं को आकर्षित करने लगा है। लेकिन, ट्रेड के जानकार विकास मोहन कहते हैं, "यह महज इत्तेफ़ाक़ है।  इन कहानियों को गुजरात की पृष्ठभूमि सूट करती होगी।  बस और कुछ नहीं।


राजेंद्र कांडपाल