Sunday 15 May 2016

एक अलबेला में विद्या बालन का गीता बाली लुक

सिल्क स्मिता जैसी अहम किरदार निभानेवाली अभिनेत्री विद्या बालन एक बार फिर से चुनौतीपूर्ण भूमिका में नज़र आएँगी। मराठी फिल्म एक अलबेला में वे हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री गीता बाली की भूमिका  कर रही हैं  । मंगलमूर्ति  फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत इस फिल्म को प्रोडूस कर रहे हैं किमया मोशन पिक्चर प्रोडक्शन और मोनिश बाबरे और इसे डायरेक्ट कर रहे हैं शेखर सरटांडेल। इस फिल्म द्वारा द्वारा महशूर अभिनेता भगवान दादा  (भगवान आबाजी पालव) को ट्रिब्यूट होगी। मेक अप आर्टिस्ट विद्याधर  भट्टे  और  डिज़ाइनर सुबर्णा राय  चौधरी ने विद्या के इस लुक को वास्तविक रूप देने के लिए काफी  रिसर्च किये है विद्याधर का कहाँ है "मैं छह से सात विग्स अपने साथ ले गया था काफी हेयर स्टाइल ट्राय करने के बाद हमने विद्या को यह मिडिल पार्टिंग हेयर स्टाइल को फाइनल किया। विद्या काफी समय से मराठी फिल्म करना चाहती थी। जब हमने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई तो उन्होंने तुरंत हाँ दी विद्याधर चाहते थे कि विद्या बालन को गीताबाली का वास्तविक रूप दिया जा सके, इसीलिए उन्होंने गीताबाली की हर बारीकियों को  ध्यान में रखते हुए विद्या को वास्तविक लगने वाला यह लुक दिया

Saturday 14 May 2016

नए म्यूटेंटस को लीड करेगी मिस्टिक

अपोकैलिप्स को सभ्यता की शुरुआत से ही भगवान की तरह पूजा जाता है।  वह सुपरह्यूमन पावर वाला  म्युटेंट है। वह दूसरे म्युटेंटस की शक्तियां भी समेटे हुए है।  इसलिए वह अमर और अपराजेय हो गया है।  हजारों साल बाद जागने के बाद वह विश्व को निराशाजनक स्थिति में पाता है।  वह हताश मैग्नेटो के नेतृत्व में शक्तिशाली म्युटेंटस की टीम तैयार करता, ताकि मानव सभ्यता की सफाई की जा सके और नए विश्व का निर्माण किया जा सके, जिस पर वह राज करेगा।  पृथ्वी का क्या होगा ? ऐसे समय में प्रोफेसर एक्स की मदद से रैवेन युवा एक्स-मेन की टीम तैयार करती है ताकि मानवता को पूरी तरह से ख़त्म होने से बचाया जा सके।  जाहिर है कि रैवेन उर्फ़ मिस्टिक के कन्धों पर जिम्मेदारी है।  जेनिफर लॉरेंस ने इस किरदार को निभाया है।  वह अब नए इरादों के साथ दुनिया की रक्षा करेंगी।  ब्र्याँ सिंगर निर्देशित फिल्म एक्स-मेन : अपोकैलिप्स में अपोकैलिप्स का किरदार ऑस्कर इसाक कर रहे हैं।  म्युटेंट मिस्टिक ऑस्कर अवार्ड विजेता एक्ट्रेस जेनिफर लॉरेंस कर रही हैं।  मैग्नेटो का किरदार माइकल फासबेंडर और प्रोफेसर एक्स का किरदार जेम्स मैकवॉय कर रहे हैं।  यह फिल्म एक्स-मेन सीरीज की नौवीं फिल्म है।  २०११ में एक्स-मेन : फर्स्ट क्लास से शुरू ट्राइलॉजी में आखिरी फिल्म है अपोकैलिप्स।  इस फिल्म को एक्स-मेन: डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट का सीक्वल भी कहा जा सकता है। यह खबर भी गर्म है कि ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स एक्स- मेन सीरीज की फिल्मों को आगे भी  बढ़ा सकता है।  यह सीरीज का स्पिन ऑफ हो सकता है।  इसमें नए म्युटेंट शामिल किये जा सकते हैं या पुरानी फिल्मों के म्युटेंट वापसी कर सकते हैं।  यह फिल्म २० मई को भारत में रिलीज़ होगी।  

कॉमिक्स की तरह नज़र नहीं आयेगी स्कारलेट विच !

पिछली गर्मियों में, मार्वेल की फिल्म 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रॉन' में एक नए सुपरह्यूमन किरदार स्कारलेट विच को इंट्रोडस किया गया था।  इस किरदार को अभिनेत्री एलिज़ाबेथ ओलसन कर रही थी।  २०१४ की फिल्म  कैप्टेन अमेरिका : द विंटर सोल्जर के आखिर में क्रेडिट्स दृश्यों में स्कारलेट विच के भाई क्विकसिल्वर का भी परिचय कराया गया था। एज ऑफ़ अल्ट्रॉन  के बाद  करैक्टर स्कारलेट विच अवेंजर्स का आधिकारिक साथी  सदस्य बन गया था।  यहाँ एक ख़ास बात यह कि जैसा सभी जानते हैं कि मार्वल कॉमिक्स के यह तमाम करैक्टर रील पर भी कॉमिक्स बुक वाली वेशभूषा में दिखाये जाते हैं।  केवल स्कारलेट विच का किरदार ही अपवाद है।  कॉमिक्स में यह करैक्टर काफी देह दर्शन कराने वाली पोशाक  में नज़र आता है।  लेकिन,  पहले एज ऑफ़ अल्ट्रॉन और अब सिविल वॉर में स्कारलेट विच को देखें तो उसकी पोशाक अंग उघाड़ने वाली नहीं।  एलिज़ाबेथ ओलसन के करैक्टर के लिए यह नजरिया फिल्म के डायरेक्टर जॉस व्हेडॉन का था। इस बारे में एक्ट्रेस का कहना था कि पहले तो वह खुद कॉमिक्स वाली पोशाक नहीं पहन सकती थी।  लेकिन, पहली मुलाक़ात में ओलसन से जॉस ने कहा कि वह उसे (एलिज़ाबेथ को) कॉमिक्स करैक्टर वाली पोशाकें नहीं पहनाने जा रहे। दरअसल, जॉस व्हेडॉन को स्कारलेट विच की पोशाक असुरक्षित सोच वाली औरत की लगती थी। बहरहाल, एलिज़ाबेथ ओलसन का स्कारलेट विच का किरदार अवेंजर्स: इन्फिनिटी वॉर पार्ट १ और अवेंजर्स: इन्फिनिटी वॉर पार्ट २ में नज़र आने वाला है।  फिलहाल, इन दोनों फिल्मों की कास्ट का ऐलान नहीं किया।  अलबत्ता इन दोनों फिल्मों की शूटिंग इस साल के अंत में रूसो भाइयों अंथोनी और जो द्वारा शुरू कर दी जाएगी।  

'जग्गा जासूस' गायेगा १८ गीत !

पिछले दिनों खबर थी कि रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ अलग अलग उड़ानों से मोरक्को में अपनी फिल्म जग्गा जासूस की शूटिंग करने चले गए। इस खबर का मतलब केवल यही था कि रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ अब लव बर्ड्स नहीं रहे। लेकिन, मोरक्को में दोनों ने जम कर शूटिंग की रोमांस सीन किये। इधर सोशल साइट्स पर मोरक्को में जग्गा जासूस के एक गीत की शूटिंग के चित्र वायरल हुए हैं। खबर है कि रणबीर कपूर इस फिल्म का मोरक्को शिड्यूल जल्द से जल्द पूरा कर लेना चाहते हैं। इसका एक कारण यह तो है कि बतौर कोप्रोडूसर वह फिल्म के बढ़ते बजट को लेकर चिंतित हैं। दूसरा कारण यह भी है कि रणबीर कपूर मोरक्को के बाद फिल्म के संगीत के लिए संगीतकार प्रीतम के साथ बैठना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि जग्गा जासूस में कुल १८ गीत हैं और यह अठारहों गीत फिल्म में शामिल किये जायेंगे। यह गीत फिल्म का ज़रूरी हिस्सा भी होंगे। ऐसे में, ज़ाहिर है कि इन महतवपूर्ण गीतों की तैयारी में व्यक्तिगत रूप से शामिल हों, जैसे उनके दादा जी स्वर्गीय राजकपूर शामिल हुआ करते थे।

Thursday 12 May 2016

महात्मा गांधी ने देखी थी विजय भट्ट की 'रामराज्य'

भारतीय शास्त्रीय संगीत का परिचय हिंदी फिल्मों के ज़रिये कराने वाले विजय भट्ट का आज जन्म हुआ था।  १२ मई १९०७ को गुजरात के भावनगर जिले के एक रेलवे गार्ड के घर जन्मे बृजलाल जगनेश्वर भट्ट  को फ़िल्मी दुनिया ने विजय भट्ट नाम से परिचित करवाया।  विजय भट्ट की दो फिल्मों  बैजू बावरा (१९५२) और गूँज उठी शहनाई (१९५९) को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल हुई थी।  इन फिल्मों की सफलता का राज था इनके शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत।  बैजू बावरा ने मीना कुमारी को फिल्मफेयर अवार्ड दिलाया ही, वह और भारत भूषण हिंदी फिल्मों के बड़े सितारे भी बन गए।  विजय भट्ट ने बेबी महजबीं को पहली बार अपनी फिल्म लेदरफेस में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौक़ा दिया।  यहीं महजबीं आगे चलकर मीना कुमारी बनी और विजय भट्ट की फिल्म बैजू बावरा की नायिका भी।  केपी भावे की मूक फिल्म विधि का विधान से बतौर स्क्रिप्ट राइटर इंडस्ट्री में प्रवेश पाने  वाले विजय भट्ट ने राम राज्य (१९४२) जैसी फिल्म बनाई, जो महात्मा गांधी द्वारा देखी गई इकलौती फिल्म थी।  कलकत्ता की कमर सुल्ताना को अमीता बनाने वाले विजय भट ही थे।  वह कमर सुल्ताना को अपनी फिल्म चैतन्य महाप्रभु की नायिका बनाने जा रहे थे।  लेकिन, फिल्म के लिए कमर सुल्ताना नाम की हीरोइन जंच नहीं रही थी।  इसलिए, विजय भट्ट ने अख़बारों में विज्ञापन दे कर अपनी  हीरोइन के नामकरण के लिए नाम मांगे।  इसके बाद कमर सुल्ताना फिल्म चैतन्य महाप्रभु की अमीता बन सकी।  फिल्म फ्लॉप हुई।  लेकिन, विजय भट्ट का अमीता पर विश्वास जमा रहा।  उन्होंने पांच साल बाद अमीता  को गूँज  उठी शहनाई फिल्म में राजेंद्र कुमार की  नायिका के बतौर पेश किया।  फिल्म हिट हुई।  तुम सा नहीं देखा के बाद गूँज उठी  शहनाई की सफलता ने अमीता को भी स्थापित कर दिया।  विजय भट्ट ने प्रकाश पिक्चरस और प्रकाश स्टूडियो स्थापित कर कोई २३ फिल्मों का  निर्माण किया।  उनके एक बेटे प्रवीण भट्ट सिनेमेटोग्राफर हैं।  प्रवीण भट्ट ने अपने पिता के निर्देशन में बनी फिल्म हिमालय की गोद में से डेब्यू किया।  विक्रम भट्ट भी इन्हीं विजय भट्ट के पोते हैं।  महेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट ने बतौर प्रकाश पिक्चरस के साउंड रिकार्डिस्ट फिल्मों में कदम रखा।  विजय भट्ट का देहांत ८६ साल की उम्र में १७ अक्टूबर १९९३ को हो गया।






अबुल कलाम आज़ाद पर फिल्म

आजकल बॉलीवुड में बायोपिक फिल्मों की बाढ़ आ गयी है। अब इंडियन मिसाइल मैन स्वर्गीय श्री अब्दुल कलाम आज़ाद के जीवन पर भी एक फिल्म बनने जा रही है। मराठी फिल्म निर्माता प्रमोद गोरे, अथर्वा मोशन पिक्चर्स के बैनर तले इस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। प्रमोद गोरे ने इस फिल्म टाइटल 'एपीजे' इम्पा में रजिस्टर्ड करा लिया है। इस फिल्म लिए उनका इरादा किसी हॉलीवुड निर्देशक लेंगे।  पिछले दिनों यह खबर थी कि इरफ़ान खान को कलाम का किरदार करने के लिए लिया गया है। लेकिन, अभी यह साफ़ नहीं हुआ है कि फिल्म में लीड रोल के लिए इरफ़ान खान या नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी में से किसको लिया जायेगा । सूत्र बताते हैं कि इस बायोपिक फिल्म में पूर्व राष्ट्रपति की उपलब्धियों के साथ साथ संघर्ष के दिनों को भी दिखाया जायेगा। प्रमोद गोरे ने अपनी पहली मराठी फिल्म रेती बनाई है जो रेत माफिया की कहानी है। पिछले दिनों,प्रमोद गोरे पूर्व राष्ट्रपति के घर रामेश्वरम गए थे और उनके परिवार वालों से मिले थे। यह फिल्म इस साल जुलाई अगस्त में शुरू होगी और २०१७ में रिलीज़ होगी।  अपनी फिल्म के बारे में प्रमोद गोरे बताते है, "कलाम जी ने हमारे देश के लिए बहुत कुछ किया है। वो हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। पिछले दिनों कलाम  बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए रामेश्वरम में कई जगह घुमा। उनकी २२ किताबें भी खरीदी। कलाम की दरगाह पर भी गया। कलाम जी के जीवन को ढाई घंटे में बनाकर पेश करना इतना आसान नहीं होगा पर मैं पूरी कोशिश करूँगा।" प्रमोद गोरे का इरादा इस फिल्म के मुनाफे का पैसा सरकार को देने का है ताकि उनका एक बड़ा म्यूजियम और मज़ार रामेश्वरम में बनाई जा सके ।



Wednesday 11 May 2016

क्या मोहनजोदड़ो आशुतोष गोवारिकर की सबसे छोटी फिल्म है ?

सिनेमाघरों के ठन्डे माहौल में आशुतोष गोवारिकर की  लम्बी फ़िल्में देख कर गर्मी से निजात पाने वाले दर्शकों के लिए निराश करने  वाली खबर है।  आशुतोष गोवारिकर की ह्रितिक रोशन और पूजा हेगड़े के साथ एपिक पीरियड फिल्म मोहनजोदड़ो उनकी अब तक की सबसे कम लम्बाई वाली फिल्म बताई जा रही है  । हालाँकि, आज के लिहाज़ से, जब दो घंटे से भी कम समय की बहुत सी फ़िल्में बनाई जा रही है, मोहनजोदड़ो की ढाई घंटे की लम्बाई कम नहीं है।  लेकिन, मोहनजोदड़ो आशुतोष गोवारिकर की लम्बी लम्बी फ़िल्में बनाने की शोहरत के अनुरूप नहीं बताई जा रही है ।  आशुतोष गोवारिकर की आदत फिल्म की स्क्रिप्टिंग तीन घंटे से ज़्यादा की करने की है।  केवल अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म खेले हम जी जान से ही तीन घंटे से कम यानि १६८ मिनट लम्बी थी।  क्या सचमुच मोहनजोदड़ो आशुतोष गोवारिकर की सबसे कम लम्बाई वाली फिल्म है ? आशुतोष गोवारिकर की १५ जून २००१ को रिलीज़ आमिर खान और ग्रेसी सिंह अभिनीत फिल्म लगान २३४ मिनट लम्बी यानि ३ घंटा ५४ मिनट की थी।  शाहरुख़ खान और गायत्री जोशी के साथ फिल्म 'स्वदेस' १९५ मिनट लम्बी यानि ३ घंटा १५ मिनट की थी।  ह्रितिक रोशन और ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ गोवारिकर की पहली फिल्म जोधा अकबर की लम्बाई भी २१४  ३ घंटा ३४ मिनट थी।  राशि के आधार पर प्रियंका चोपड़ा की १२ भूमिकाओं वाली फिल्म व्हाट्स योर राशि को २१३ मिनट की यानि ३ घंटा ३३ मिनट लम्बी होना ही था।  परन्तु इसके बावजूद निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की फिल्म मोहनजोदड़ो को उनकी सबसे कम लम्बाई वाली फिल्म नहीं कहा जा सकता।  आशुतोष गोवारिकर ने बतौर निर्देशक पहली फिल्म दीपक तिजोरी, रवीना टंडन और पूजा भट्ट के साथ पहला नशा बनाई थी।  यह फिल्म १३ अगस्त १९९३ को रिलीज़ हुई थी।  पहला नशा केवल १३० मिनट १९ सेकंड लम्बी यानि दो घंटा १० मिनट १९ सेकंड लम्बी थी। इसके बाद १९९५ में आमिर खान के साथ फिल्म बाज़ी  बनाने से आशुतोष गोवारिकर का लम्बी फ़िल्में बनाने का सिलसिला शुरू हो गया।