Tuesday 7 February 2017

भंसाली की फिल्म की वैश्या प्रियंका चोपड़ा

बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ग्लोबल स्टार बनने की ओर तेज़ कदम बढ़ा चुकी हैं।  बॉलीवुड फिल्मों में अपना दमखम दिखाने के बाद प्रियंका चोपड़ा ने हॉलीवुड की ओर कदम बढ़ाया था।  उनकी, इस दिशा में पहली बड़ी छलांग टीवी सीरीज क़्वान्टिको थी।  इस सीरीज में प्रियंका चोपड़ा ने एफबीआई एजेंट के किरदार में अमेरिकी दर्शकों को बेहद प्रभावित किया था।  इस सीरीज के दूसरे सीजन में प्रियंका चोपड़ा का होना इसका प्रमाण है।  इसी बीच प्रियंका चोपड़ा मशहूर टीवी सीरीज बेवॉच के फिल्म संस्करण के लिए साइन कर ली गई।  इस फिल्म में वह निगेटिव किरदार कर रही हैं।  जब ऐसा लग रहा था प्रियंका चोपड़ा अब हॉलीवुड की हो कर रह गई और उनके विदेश में घर खरीदने की अफवाह भी फैली, उसी समय प्रियंका चोपड़ा ने मुम्बई में खंडन करते हुए साफ़ किया कि वह हॉलीवुड के लिए बॉलीवुड छोड़ने नहीं जा रही।  पिछले साल दिसम्बर में प्रियंका ने बताया था कि वह कुछ हिंदी फिल्मों की स्क्रिप्ट पढ़ रही हैं।  जल्द ही फिल्म का ऐलान हो जाएगा।  इसी समय यह खबर फैली कि प्रियंका चोपड़ा संजय लीला भंसाली की फिल्म में शाहरुख़ खान के अपोजिट काम करेंगी। यह फिल्म साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम के रोमांस पर बनने वाली है।  खबर थी कि गुस्ताखियां टाइटल वाली इस फिल्म में शाहरुख़ खान साहिर लुधियानवी और प्रियंका चोपड़ा अमृता प्रीतम का किरदार करेंगी।  मगर इस खबर की भंसाली के कैंप से न तो पुष्टि हुई, न खंडन ही किया गया।  उधर भंसाली के पद्मावती में रम जाने के कारण यह खबर ठंडी पड़ गई।लेकिन, अब एक बड़े अखबार की खबर है कि वैश्याओं और वैश्यालय में उनकी दशा पर एक किताब पर आधारित भंसाली की फिल्म में प्रियंका चोपड़ा एक वैश्या का किरदार करेंगी। यह एक दमदार कथानक वाली बोल्ड फिल्म है।  इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा को अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका मिलेगा। गोलियों की रास-लीला : राम-लीला, मैरी कॉम और बाजीराव मस्तानी के बाद प्रियंका चोपड़ा और संजय लीला भंसाली की जोड़ी की यह चौथी फिल्म है।  प्रियंका चोपड़ा, क़्वान्टिको की शूटिंग ख़त्म करने के बाद इस फिल्म की शूटिंग शुरू कर देंगी। 

Monday 6 February 2017

मुस्लिम हॉरर फिल्म में बांग्लादेश और पाकिस्तान के कलाकार

निर्माता जोड़ी इमरान गलानि और अली जी, लेखक फैसल सैफ की समीर खान के निर्देशन में फिल्म शैतान एक मुस्लिम हॉरर फिल्म बताई जा रही है।  इस फिल्म में बांगलादेश के अभिनेता निरब हुसैन और पाकिस्तानी अभिनेत्री मीरा के अलावा कविता राधेश्याम, आसिफ बसरा और अमिता नांगिया की भूमिका है।  शैतान को मुस्लिम हॉरर फिल्म क्यों बताया जा रहा है ? लेखक फैसल सैफ बताते हैं, "इसके पहले भी कई हॉरर फिल्में बन चुकी हैं। मगर, हम कुछ अलग लेकर आएं हैं। हमारी फिल्म की कहानी दो ऐसे प्रेमियों के इर्द गिर्द घूमती हैंजो मुसलमान कौम के दो अलग फिरकों शिया और सुन्नी से सम्बंधित हैं।  इस जोड़े को विवाह के बाद किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता हैखास कर तब जब एक फिरका दूसरे पर काला जादू कर उन्हें तमाम तकलीफो में डालता है।  यह जोड़ा कैसे संघर्ष कर अपनी मोहब्बत को बचा पाने में कामयाब होता हैंइस हॉरर फिल्म में इसे दिखाया गया है । पिछले दिनों इस फिल्म का संगीत रिलीज़ किया गया।

Saturday 4 February 2017

दीपिका पादुकोण को लगा ज़ोर का झटका जोरों से

दीपिका पादुकोण पर बुरी बीती।  उन्हें ज़ोर के दो झटके पुरजोर तरीके से लगे हैं।  एक झटका विदेश में एक भारतीय से और दूसरा झटका देश में एक विदेशी से।  इंटरनेशनल स्टार बनने के लिए बेताब दीपिका पादुकोण के लिए यह सचमुच बेहद ज़बरदस्त आघात है।  दीपिका पादुकोण ने २०१३ में विन डीजल की फिल्म फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ७ को संजय लीला भंसाली की फिल्म गोलियों की रास लीला : राम-लीला के लिए इनकार कर दिया था।  बाद में राम-लीला सुपर हिट साबित हुई।  इसलिए दीपिका का यह फैसला सराहनीय साबित हुआ।  लेकिन कहीं न कहीं दीपिका पादुकोण को फास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फिल्म खोने का सदमा था। उधर बॉलीवुड में उनकी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड में कुलाचें भर रही थी।  इसीलिए जब विन डीजल ने अपनी ट्रिपल एक्स सीरीज की तीसरी फिल्म रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज का ऑफर दिया, दीपिका ने फिल्म को तुरंत हाँ बोल दी।  दीपिका को उम्मीद थी कि रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज बॉलीवुड में उनका क्रेज बना देगी।  इसीलिए, दीपिका पादुकोण ने विन डीजल के साथ फिल्म का जम कर प्रचार किया। परंतु, भारतीय मूल के निर्देशक एम नाईट श्यामलन की हॉरर थ्रिलर फिल्म स्प्लिट ने जेंडर केज की वापसी को जोर का झटका दिया।  बजट के लिहाज़ से जेम्स मेकॉय और अन्या टेलर जॉय की फिल्म स्प्लिट का ९ मिलियन डॉलर का बजट विन डीजल, दीपिका पादुकोण, डॉनी येन, सैमुएल एल जैक्सन और टोनी जा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज के ८५ मिलियन डॉलर के मुक़ाबले बेहद मामूली था।  जहाँ दीपिका पादुकोण की फिल्म ३६५१ थिएटरो में रिलीज़ हुई थी, वहीँ श्यामलन की फिल्म ३०३८ थिएटरो में रिलीज़ हुई थी।  इसके बावजूद बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखाया स्प्लिट ने।  इस फिल्म ने ४० मिलियन डॉलर का ओपनिंग वीकेंड निकाल कर, सिर्फ २० मिलियन डॉलर की ओपनिंग वीकेंड लेने वाली दीपिका की फिल्म को काफी पीछे धकेल किया।  इसके साथ ही हॉलीवुड में सिक्का जमाने के दीपिका के सपनों को दूसरा जोर का झटका लगा।  यहाँ दिलचस्प तथ्य यह है कि स्प्लिट के हीरो जेम्स मेकॉय और रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज के हीरो विन डीजल दोनों ही गंजे हैं।  जी हाँ, दीपिका पादुकोण को पहला जोर का झटका देश में लगा था।  लेकिन वह इसे पचा ले गई थी।  इस बात का जोरदार प्रचार नहीं हुआ।  पिछले साल मशहूर ईरानी फिल्म निर्देशक माजिद माजिदी अपनी पहली इंग्लिश फिल्म फ्लोटिंग गार्डन्स की शूटिंग मुम्बई में कर रहे थे।  इसके एक मुख्य चरित्र के लिए माजिद ने दीपिका पादुकोण का स्क्रीन टेस्ट लिया।  इस स्क्रीन टेस्ट की सारा दिन शूटिंग मुम्बई के धोबी घाट में हुई।  बिना मेकअप के सलवार-कुरता पहने दीपिका पादुकोण पहचान में नहीं आ रही थी।  दीपिका  पादुकोण को पूरी उम्मीद  थी कि  उन्हें माजिद माजिदी की फिल्म में मौक़ा मिलेगा।  लेकिन,  जिस दौरान दीपिका पादुकोण अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म में प्रचार में जुटी हुई थी, माजिद माजिदी ने उन्हें रिजेक्ट कर पहला जोरदार झटका दिया।  अब यह बात दीगर है कि दीपिका पादुकोण कहती फिर रही हैं कि माजिदी को ज़्यादा परिपक्व चेहरे की तलाश थी।

चीन की दीवार पर द ग्रेट वाल

चीन की दीवार के निर्माण के रहस्य के इर्द गिर्द घूमती द ग्रेट वाल एक्शन और एडवेंचर से भरपूर ऐतिहासिक महाकाव्य गाथा है।   ब्लैक पाउडर की खोज में निकले यूरोप के भाड़े के हत्यारे गिरोह के सदस्य खिटन डाकुओं के गिरोह द्वारा बंदी बना लिए जाते हैं।  इनमे से जान बचा कर भागे कुछ लोग एक गुफा में शरण लेते हैं।  जहाँ उन पर एक दैत्य हमला कर देता।  इस हमले में केवल दो लोग बचते हैं।  वह लोग राक्षस का हाथ काट देते हैं।  अब यह लोग राक्षस का हाथ लेकर चीन की ग्रेट वाल के पास पहुंचते हैं तो उन्हें सैनिक बंदी बना लेते हैं।  इसके बाद राक्षसों के झुंड के हमले का रोमांच फिल्म को अपनी गिरफ्त में ले लेता है।  फिल्म का  निर्देशन चीनी डायरेक्टर झांग इमौ कर रहे हैं।  फिल्म में मैट डैमन, जिंग टीएन, पेड्रो पास्कल, विलेम डैफो, एंडी लाउ और एड़ी पेंग मुख्य भूमिका में हैं।  यह फिल्म चीन में पिछले साल १५ दिसम्बर को रिलीज़ हो चुकी है।  अमेरिका और भारत में इस फिल्म के १७ फरवरी को रिलीज़ होने की उम्मीद है।  फिल्म के निर्माण में १५० मिलियन डॉलर खर्च किये गए हैं।  यह फिल्म अब तक २११.२ मिलियन डॉलर का बिज़नस कर चुकी है।  

Friday 3 February 2017

फिटनेस के लिए सायकल पर अमित साध

इस समय अमित साध के पास बहुत काम है। पिछले वर्ष इस प्रतिभाशाली अभिनेता की फिल्म सुल्तान को बहुत बड़ी कामयाबी मिली थी। इस फिल्म के लिए अमित साध को काफी सराहा गया है और इस वर्ष वे राम गोपाल वर्मा की सरकार ३ , रनिंग शादी डॉट कॉम तथा दिग्मांशु धुलिया की आगमी फिल्म और वेब सीरीज में नजर आने वाले है। अमित साध फ़िटनेस पर ध्यान देते हैं और कड़ाई से अपने व्यायाम और शीर्षासन ​करते है। ​वे रोज सायकल चलाते है तथा इसे फिटनेस का नया मंत्र मानते है। मौजूद समय में वह​ ​रनिंग शादी डॉट कॉम का प्रमोशन करने के साथ साथ एक वेब श्रृंखला के लिए शूटिंग ​भी कर रहे है।  इस कारण ​अमित​ को ​ जिम जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है।  इसलिए ​उन्होंने यह फैसला किया है कि अपने घर ​से सेट ​पर और सेट से वापस घर जाने-आने के लिए ​सायकल का इस्तेमाल करेंगे । ​अमित साध को एडवेन्चर पसन्द है। वे अक्सर बाइक ट्रिप्स पर जाते है और वे देश भर में अपने टू व्हीलर पर भी घूमते है। ​

विवेक ओबेरॉय दस हजार ट्रैफिक पुलिस को बाटेंगें मास्क

अभिनेता विवेक ओबेराय हमेशा किसी ना किसी तरह से समाजसेवी कामों से जुडते रहतें हैं और समाजसेवी कामों में योगदान देने की कोशीश करतें रहतें हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए के लिए विवेक तंबाकू विरोधी प्रवक्ता के रूप में कार्य करतें है। साथ ही, एक दशक से ज्यादा वक्त से कैंसर पेंशंट्स एड असोसिएशन (सीपीएए) से जुडे हैं। वन फाउंडेशन और जीएआयएल(गैस अथेरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) के सहयोग से बनी हुई  हवा बदलों इस शॉर्ट फिल्म के जरीयें वायु प्रदुषण के सामाजिक जागरूकता अभियान के लिए वह काम कर रहें हैं। सामाजिक संदेश को घर-घर पहूँचाने के लिए विवेक ओबेरॉय के वन फाउंडेशन ने एक दिल को छुनेवाला विडियों बनाया हैं।  जो ट्रैफिक पुलिस के प्रति रहें हमारे बर्ताव पर सवाल उठाता हैं। विवेक ओबेरॉय दस हजार ट्रैफिक पुलिस को मास्क बाटनेवाले हैं। विवेक कहतें हैं, ट्रैफिक पुलिस को हमारा सलाम। वह अपनी जान जोखीम में डालकर अपनी रक्षा करतें हैं। यह एक छोटी पहल हैं। मैं लोगों को अनुरोध करूँगा की, आगे आकर हवा बदलो इस हमारे कैंम्पेन में जुडे और इस समासेवी काम में हाथ बटांयें।जीएआयएल(भारत) लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री.बी.सी. त्रिपाठी कहतें हैं, पिछले कुछ वर्षों में वायु प्रदुषण का खता बढ रहा हैं। सांस की बीमारियों के बढ़ते मामलों के म्देनजर अब यह जरूरी हैं, की, हम भविष्य की ओर एक सुधारात्मक रास्ता चुने । हमारे दैनिक विकल्प हमारे को प्रभावित करते हैं। हवा बदलने की दिशा की ओर बढतें हुए प्राकृतिक गैस जैसे स्वच्छ ईंधन को चुनना हमारा पहला कदम हैं। गेल (इंडिया) लिमिटेड हवा बदलों इस सामाजिक काम में सहयोग करते वक्त काफी खुश हैं

Wednesday 1 February 2017

युद्ध की पृष्ठभूमि में रोमांच भी रोमांस भी

पिछले महीने रिलीज़ दो फ़िल्में ख़ास थी।  इन फिल्मों में रोमांच भी था और रोमांस भी।  लेकिन, इनमे ख़ास यह था कि यह दोनों फ़िल्में युद्ध फ़िल्में थी।  १७ फरवरी को रिलीज़ निर्देशक संकल्प रेड्डी की फिल्म द गाज़ी अटैक १९७१ के भारत पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर थी ।  इस युद्ध के दौरान भारतीय नौ सैनिकों ने पाकिस्तान की पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी को डुबो दिया था।  इस युद्ध में भारतीय सेना की पनडुब्बी एस २१ की पूरी टीम १८ दिनों तक समुद्र के अंदर रही थी।  इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में भारतीय नौसेना की इसी जांबाज़ी को दिखाया गया था।  दूसरी फिल्म विशाल भारद्वाज की रंगून के द्वितीय युद्ध की पृष्ठभूमि पर रोमांस था।  यह एक प्रेम त्रिकोण फिल्म थी।  जितना युद्ध कर रोमांच था, उतना ही कंगना रनौत, शाहिद कपूर और सैफ अली खान के बीच का गर्मागर्म रोमांस भी था।
चीन के साथ युद्ध की हकीकत
द गाज़ी अटैक को देखते समय दर्शकों को हिंदुस्तान की पहली खालिस युद्ध फिल्म हकीकत की याद आ जाएगी।  जहाँ द गाज़ी अटैक हिंदुस्तानी सेना के पराक्रम की धड़कने तेज़ कर देने वाली कहानी है, वहीँ चेतन आनंद की फिल्म हकीकत हिंदुस्तानी सैनिकों दिलेरी, पराक्रम और देश पर मर मिटने की जज़्बे का बयान करती थी।  दरअसल, हकीकत चीन के साथ भारत के १९६२ में हुए युद्ध की कहानी थी। इस युद्ध में भारत को पराजय का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध ने भारतीय सेना की कमज़ोरियां, सैन्य व्यूह रचना में कमियों और रसद आदि पहुंचाने में हुई कठिनाइयों को साफ़ कर दिया था।  हकीकत में इस बेहद भावुक और जोशीले तरीके से दिखलाया था।  मदन मोहन का संगीत देश भक्ति पैदा करने वाला था।  अपनी कथ्यात्मक ईमानदारी, श्रेष्ठ अभिनय और स्वाभाविक चित्रण के कारण इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली थी।  हकीकत को बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।  इस फिल्म ने बॉलीवुड में देश भक्ति की फ़िल्में बनाने का रास्ता खोल दिया।
युद्ध की पृष्ठभूमि पर कल्पनाओं के घोड़े 

बावजूद इसके कि हकीकत को दर्शकों का साथ मिला था, बॉलीवुड ने विशुद्ध युद्ध फ़िल्में बनाने की बहुत ज़्यादा कोशिशें नहीं की।  जहाँ तक युद्ध की पृष्ठभूमि पर रोमांस भरने की बात है, बॉलीवुड ने इसे १९६४ से पहले भी किया और बाद में भी।  देवानंद की दोहरी भूमिका वाली फिल्म हम दोनों में युद्ध में गए हमशक्ल सैनिकों में से एक के लापता हो जाने और दूसरे के वापस होने पर लापता सैनिक की पत्नी द्वारा उसे अपना पति समझने तथा इसके फलस्वरूप उसके प्रेमिका के साथ गलतफहमी उपजने का चित्रण हुआ था। हकीकत बनाने वाले चेतन आनंद के भाई विजय आनंद ने इस फिल्म का अमरजीत के साथ निर्देशन किया था।  फिल्म एक
मुसाफिर एक हसीना (१९६२) में कश्मीर में उपजे रोमांस की पृष्ठभूमि में कबाइलियों के साथ भारतीय सेना का युद्ध था।  इस फिल्म का निर्देशन राज खोसला ने किया था। निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर ने १९७२ में अतीत की ओर लंबी  छलांग भरी।  उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बर्मा पर जापान के आक्रमण का सामना करने वाले इंडियन रॉयल आर्मी की भूमिका को  राजेंद्र कुमार, माला सिन्हा और धर्मेन्द्र के प्रेम त्रिकोण में गूंथ दिया था।  यह संगीतमय फिल्म ज़बरदस्त हिट हुई थी।  १९७५ में रिलीज़ फिल्म आक्रमण और २००४ में रिलीज़ अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों की कहानी भी कुछ ऎसी ही थी।  देव आनंद निर्देशित फिल्म प्रेम पुजारी (१९७०) एक पूर्व सैनिक के डरपोक भगोड़े सैनिक पुत्र (देवानंद) की कहानी थी।
युद्ध फिल्मों की असफलता 

जिस किसी फिल्म में थोड़ा युद्ध और ज़्यादा रोमांस रहा, संगीत का घालमेल थी, वह फिल्म हिट हुई।  लेकिन, विशुद्ध युद्ध फ़िल्म के नाम पर बनी तमाम हिंदी फ़िल्में असफल हुई।  चेतन आनंद ने हकीकत के बाद १९७१ के भारत पाकिस्तान युद्ध में हुए आपरेशन कैक्टस लिली पर फिल्म हिंदुस्तान की कसम का निर्माण किया था।  लेकिन, यह फिल्म असफल हुई।  गोविद निहलानी की फिल्म विजेता का नायक इंडियन एयरफोर्स का फाइटर  पायलट था।  इस फिल्म में भारतीय वायु सेना के कई लड़ाकू जहाजों, हेलीकाप्टर और हथियारों का रियल चित्रण  हुआ था।  लेकिन यह फिल्म फ्लॉप हुई।  मणि  शंकर की फिल्म टैंगो चार्ली एंटी-वॉर फिल्म होने के बावजूद दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सकी।  इसी प्रकार से कारगिल युद्ध पर फरहान अख्तर की फिल्म लक्ष्य भी दर्शकों के दिलों को भेद नहीं पाई।
क्या युद्ध के बहाने एंटी पाकिस्तान इमोशन 

चीन से इकलौते युद्ध के बाद भारत ने पाकिस्तान से तीन तीन युद्ध किये।  शुरूआती हिंदी फिल्मों को छोड़ दे तो ज़्यादातर हिंदी फिल्मों में युद्ध में दुश्मन पाकिस्तान ही था।  अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों, आक्रमण, हिंदुस्तान की कसम, मेजर साहब, विजेता, दीवार : लेटस ब्रिंग आवर हीरोज होम, लक्ष्य, मिशन कश्मीर, बॉर्डर, एलओसी कारगिल, परम वीर चक्र, आदि फिल्मों में पाकिस्तान से भारत के युद्ध का चित्रण ही हुआ था।  इन तमाम फिल्मों में पाकिस्तान को खुले आम ललकारा और गरियाया गया था।  ख़ास तौर पर सनी देओल की फिल्म बॉर्डर तो जोशीले एंटी पाकिस्तान संवादों के कारण सुपर हिट हो गई।
कारगिल युद्ध को सफलता नहीं 

कारगिल युद्ध के बाद भारतीय जनता पार्टी को हुए लोक सभा चुनावों में बढ़िया सफलता मिली थी।  अटल बिहारी वाजपई के नेतृत्व में सरकार भी बनी। लेकिन, रूपहले परदे पर दर्शकों को  कारगिल युद्ध रास नहीं आया।   लेकिन, हिंदी फिल्म  दर्शकों को कारगिल युद्ध रास नहीं आया।  बॉलीवुड  के दर्जनों बड़े अभिनेताओं की मुख्य भूमिका   वाली फिल्म एलओसी कारगिल बॉक्स  ऑफिस पर  कुछ ख़ास नहीं कर सकी।  फरहान अख्तर की कारगिल युद्ध पर फिल्म लक्ष्य युद्ध की हकीकत के काफी करीब होने के बावजूद दर्शकों को छू नहीं सकी तो इसलिए कि इसमे पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अख्तियार किया गया था।  बॉक्स ऑफिस पर असफल फिल्म टैंगो चार्ली  में भी कारगिल युद्ध का ज़िक्र था।
सैन्य पृष्ठभूमि पर कुछ अच्छी फ़िल्में '
कुछ हिंदी फिल्मकारों ने खालिस युद्ध पर तो नहीं लेकिन सैन्य पृष्ठभूमि वाली भिन्न पहलुओं पर फ़िल्में बनाने की कोशिश की।  इन फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर बहुत  सफलता न भी मिली हो, लेकिन प्रशंसा खूब मिली।  लेखक-निर्देशक अशोक कॉल की फिल्म परम वीर चक्र नेशनल डिफेंस अकादमी के तीन कैडेटों की थी जो एक ही लड़की से प्यार करते थे।  लेकिन, देश की बात आने पर वह प्रेम का बलिदान कर देने वाले थे।   अमृत सागर की फिल्म १९७१ पाकिस्तान द्वारा युद्ध बंदी बना लिए गए छह सैनिकों की कहानी थी।   समर खान की फिल्म शौर्य में एक मुस्लिम  सैनिक के कोर्ट मार्शल का चित्रण था, जो अपने सीनियर को शूट कर देता है।  नाना पाटेकर की फिल्म प्रहार: द फाइनल अटैक भारतीय सैनिक के लिए परिवार से पहले देश होता है का सन्देश देती थी।
अतीत के युद्ध में प्रेम 
हिंदी फिल्मकार अब पुराने युद्धों की पृष्ठभूमि पर प्रेम की बुनियाद रख रहे हैं।  द गाज़ी अटैक से भिन्न शैली में बनाई जा रही दो फ़िल्में ख़ास हैं।  विशाल भरद्वाज की फिल्म रंगून की द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर सैफ अली खान, कंगना रनौत और शाहिद कपूर का गर्मागर्म चुम्बनों का रोमांस देखने के बाद  दर्शकों को दो अन्य फ़िल्में भी युद्ध की पृष्ठभूमि पर ही देखने को मिलेंगी।   कबीर खान की फिल्म ट्यूबलाइट में भारत चीन युद्ध हैं।  इस युद्ध के बीच खिलेगा  इंडियन आर्मी अफसर का एक चीनी लड़की के साथ प्रेम का फूल।  बेबी (२०१५) के शिवम् नायर निर्देशित प्रीकुएल फिल्म नाम शबाना एक लड़की शबाना के अंडर कवर एजेंट बनने का चित्रण हुआ है।